मसालों में हल्दी और मिर्ची के बाद धनिया (Coriander ) का तीसरा सबसे बड़ा उपयोग में होने वाला मसाला हैं जिसका उपयोग चटनी से लेकर ,सलाद , खाने की थाली सजाने तक होता हैं , धनिया एक ऐसे मसाला हैं जिसका उपयोग हरी वा सुखी दोनों में किया जा सकता हैं , इसके अलावा धनिया के बहुत सारे फायदे हैं जिनके बारे में हम आगे चर्च करेंगे , किन्तु जब तक हम अपने खाने पीने की चीजो को रसायन मुक्त नही उगायेंगे तब तक हम अपने भोजन को फायदेमंद नही पहुचा सकते हैं , इसलिए हम धनिया उगाने की आर्गेनिक विधि को जानेगे :-
- धनिया की खेती कैसे करे ?
- धनिया की खेती से लाभ कैसे कमाए ?
- ठण्ड में धनिया की खेती कैसे करे ?
- गर्मी में धनिया की खेती कैसे करे ?
- बरसात के मौसम में धनिया की खेती कैसे करे ?
- गमलो में धनिया की खेती कैसे करे ?
- धनिया की उन्नतशील किस्मे
- धनिया के प्रकार ?
- हाइब्रिड धनिया की खेती
- धनिया का उपयोग और लाभ
धनिया की मांग लोगो में हमेसा होता हैं चाहे वह हरी पत्ती के रूप में हो या सूखे बीज के रूप में , अगर निजी बाजार की मांग को देखे तो लोगो में हरी पतियों व हरी फल वाली धनिया की मांग ज्यादा होता हैं जबकि विदेशी बाजार में सूखे बीज का बड़ी मांग हैं और हर साल भारत से बड़ी मात्र में धनिया विदेशो को निर्यात किया जाता हैं , वही फसल की बात करे तो जैविक खाद से उगाये गए फसलो में जबरजस्त खुसबू और गुणवत्ता के कारण लोग ज्यादा पसंद करते हैं और इससे अच्छा भाव मिलता हैं ,
इसकी खेती पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कनार्टक और उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती है। किन्तु प्रमुख उत्पादक में राजस्थान का प्रथम स्थान हैं
- धनिया का वैज्ञानिक नाम :- कोरियनड्रम सटाइवम
- हिंदी नाम :- धनिया , ये भी तीन प्रकार से हैं 1 हरा पत्ती धनिया , 2 हरा फल धनिया ,3 सुखा बीज धनिया
- मिट्टी :-
धनिया की खेती करने के लिए सबसे पहले मिट्टी की जरुरत होता हैं और जिस मिट्टी में जैविक पदार्थ अच्छा हो वह धनिये की जैविक खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैं इसके अलावा मिट्टी का PH मन 3.5-6 के बीच होना चाहिए, वैसे तो धानिये की खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता हैं , और इसके लिए जल निकास की अच्छी व्यवस्था होना चाहिए |
- खेतो की जुताई और खाद :-
यदि मिट्टी में ओल ( जुताई के लिए उपयुक्त नमी ) ना हो तो शाम के समय हल्का सिचाई करना चाहिये और फिर 2 बार गहरी जुताई करना चाहिए ,यदि मिट्टी पलटने वाला हल हो तो बहुत अच्छा हैं नही तो देशी हल या कल्टीवेटर से कर सकते हैं और फिर पाटा लगा कर मिट्टी को बराबर कर ले ,खेत में पहली जुताई के पहले ही गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद या फिर हरी खाद या कोई भी जैविक खाद जो उपलब्ध हो डाल देना चाहिए , वैसे खाद को 1.5-2 ट्रेक्टर प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए | यदि चाहे तो रासायनिक खाद का प्रयोग कर सकते हैं इसके लिए 32 किलो नत्रजन 20 किलो फस्फोराश 20 किलो पोटाश प्रति एकड़ डाल सकते हैं
इसके अलावा धनिया को पलेवा विधि , उटेरा विधि से भी बोया जा सकता हैं , पलेवा विधि में पहले खेत को पानी भरके मचाई किया जाता हैं फीर ऊपर में धनिये के बीज को बो दिया जाता हैं इसमें सामन्य बोई जाने वाली फसल के मुकाबले अच्छी फसल होता हैं तथा रोग किट आदि लगने की संभवाना बहुत कम होता हैं , जबकि उटेरा फसल के लिए, पहली फसल की कटाई के 20-25 दिन पूर्व सीधे बीज को बो दिया जाता हैं इसमें फसल कम होता हैं सामान्यता इस विधि को असिचित ऐरिया में वा भारी भूमि में आसानी से किया जा सकता हैं
- ठण्ड के समय में धनिया की कैसे करे :-
धनिया की खेती ठण्ड के समय करने में कोई परेशानी नही हैं , और इस समय बड़ी आसानी से धनिया की उत्पादन ले सकते हैं इस समय में फसल की बोवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवम्बर की अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं .
- गर्मियों में धनिया की खेती कैसे करे :-
- बरसात के मौसम में धनिया की खेती :-
बरसात के मौसम में धनिया की खेती करना भी थोडा मुश्किल हैं क्योकि इस समय बारिश होता हैं धनिया अधिक पानी को सहन नही कर सकता हैं फिर भी थोड़ी बहुत मात्र में बरसात के मौसम में कर सकते हैं यदि ग्रीन हॉउस की सुविधा हो तो इसे बड़े पैमाने में आसानी से उगा सकते हैं , यदि घर उपयोग के लिए उगाये तो गमले में आसानी से उगा सकते हैं जिसे जरुरत पड़ने पर धुप वा छावो में आसानी से रख सकते हैं
- गमलो में धनिया की खेती कैसे करे :-
इस प्रकार की खेती घरो की किचन गार्डन में या फीर घरो की जरुरत को पूरा करने के लिए किया जाता हैं , सबसे पहले अपने इच्छा अनुसार गमला ले और सभी गमलो के निचे में छेद कर दे ताकि जरुरत से ज्यादा पानी निकल जाये फीर उसमे मिट्टी और खाद को अच्छे से मिक्स करके गमले में इतना भरे की गमले की उपर तरफ 1/2 इंच बच जाये इसके बाद गमलो में 5-5 सेंटीमीटर की दुरी पर 1-2 इंच निचे बीज डाल दे और बीज को ढककर पानी का छिडकाव कर दे , इसके बाद आवश्यकता अनुसार पानी का छिडकाव करते रहे 15-20 दिन में सभी बीज अच्छे से उग जायंगे , जल्दी अकुरण के लिए बीज को 12 घंटे के लिए भिगो कर रखे और फिर 1 घंटे हवा में सुखाकर बोये इससे अच्छा और जल्दी अंकुरण होता हैं |
- धनिया की कुछ उन्नतशील किस्मे :-
- धनिया की प्रकार :-
धनिया को प्रमुख रूप से उपयोग के आधार पर बाट सकते हैं और इसके मुख्य 2 प्रकार ही होते हैं 1 पत्ती वाली धनिया :- इसके केवल पत्ती का ही उपयोग करते हैं और इसमें फुल जल्दी नही आते हैं यदि इसकी बुवाई नवम्बर में करते हैं तो इससे अप्रेल के अंत तक अच्छी पत्तिया ले सकते हैं ध्यान रहे इसमें पत्तिया बनने के बाद पत्तियो की कटाई जरुर कर ले जिससे पौधों में फुल जल्दी नही आते हैं 2 फल वाली धनिया :- इसमें दाना व पत्ती दोनों का उपयोग होता , सामन्यतौर पर पत्तियो की 1-2 कटाई ही की जा सकती हैं उसके बाद फुल आ जाता हैं , इस धनिया की मांग पत्तियो वाली धनिया से अधिक होता हैं क्योकि इसमें पत्ती वाली धनिया के मुकाबले खुशबू वा स्वाद अच्छा होता हैं , जिससे मसाला , आदि के रूप में इसका प्रयोग होता हैं
- हाइब्रिड धनिया की खेती :-
- बीज दर :-
धनिया को बड़े पैमाने में उगाने के लिए 5-8 किलो प्रति एकड़ बीज की जरुरत होता हैं बीज को बोने से पहले दल ले इसके लिए हल्के लाल इट या खपरैल का इस्तेमाल कर सकते हैं इसके बाद अच्छे अंकुरण के लिए 12 घंटे के लिए भिगो दे और फिर पानी को निथर कर छाया में फैला दे इसके बाद धनिया को बीमारी से बचाने के लिए ट्राईकोडार्म या बवेस्टिन 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार कर बोये
- बोने का समय और बीज की दुरी :-
ठण्ड के मौसम में अक्टूबर -नवम्बर तक बोवाई कर लेना चाहिए जबकि गर्मी के फसल के लिए फरवरी से मार्च तक बोवाई कर लेना चाहिए ,बरसात के लिए जून-जुलाई तक बोवाई कर लेना चाहिए खेत में पौधे - पौधे की दुरी 5-10 सेंटीमीटर और कतार से कतार 20-25 सेंटीमीटर रखे इससे फसल अच्छा होता हैं | जबकि गमलो में बोवाई करने के लिए पौधे से पौधे की दुरी और लाइन से लाइन की दुरी 5-10 सेंटीमीटर रखे , ध्यान रहे बोवाई के समय मिट्टी में हल्क नमी होना चाहिए |
- निराई गुड़ाई :-
पौधे के अच्छे बढ़वार के लिए 30-35 दिन बाद एक निराई गुड़ाई करना चाहिए इससे पौधों के जड़ो का विकाश अच्छा होता हैं जिससे पत्ती वाली धनिया में पत्तिया ज्यदा बनता हैं |
- सिचाई :-
यदि हल्की मिट्टी हो तो ठण्ड के मौसम में 7-10 दिन में सिचाई करना चाहिए जबकि भारी मिट्टी में 15-20 दिन में सिचाई करना चाहिए , गर्मी की फसल में 4-6 दिन में या आवश्यकता पड़ने पर करते रहना चाहिए ,
- किट प्रबंधन :-
धनिया की फसल में महो किट का सबसे ज्यादा आक्रमण होता हैं जो काला , और हरा दोनों प्रकार से होता हैं , यह किट धनिये के फुल निकलते समय लगता हैं जिससे दाना कम बनता हैं इसकी रोकधाम के लिए JOS B 5 या विजया 666 का छिडकाव करना चाहिए जो एक आर्गेनिक उत्पाद हैं जिससे सभी प्रकार के किट की रोकथाम तो होता ही हैं साथ में फुल की संख्या भी बढ़ता हैं
- रोग प्रबंधन :-
धनिया की फसल में पटिका रोग ज्यदा होता हैं जो अधिक नमी के कारण होता हैं इसमें पूरा पौधा एक पट्टी बन जाता हैं जिससे उत्पादन बहुत कम हो जाता हैं इसकी रोकथाम के लिए बीज को उपचार करके बोना चाहिए साथ ही जल निकास की अच्छी व्यवथा करना चाहिए
- कटाई और उपज :
पत्ती वाली धनिया को बोवाई के 40-45 दिन बाद पत्तियों की कटाई किया जा सकता हैं तथा पुरे फसल तक 7 से 8 कटाई किया जा सकता हैं जिससे प्रति एकड़ 8 कुंटल तक हरी पत्ती प्राप्त होता हैं ,वही फल धनिया की बात करे तो इस बोवाई के 45 दिन बाद पहली पत्तियो की कटाई किया जा सकता हैं इसके बाद अगले 15-20 दिन में दूसरी कटाई किया जा इसके बाद इसे फूलने फलने के लिए छोड़ दे फल वाली धनिय में हरी पत्ती 1-2 कुंटल तक वा सुखा बीज 4-5 कुंटल प्रति एकड़ मिल जाता हैं
- धनिया की मिश्रित खेती :-
धनिया को यदि बड़े पैमाने में उगा रहे हैं तो इसकी मिश्रित खेती भी किया जा सकता हैं जैसे की चना+ धनिया , सरसों + धनिया , यदि कतार बोनी करते हैं तो दो लाइन चना या सरसों के बीच 1 लाइन धनिय की डाल सकते हैं |
- धनिया का उपयोग और लाभ :-
धनिया का उपयोग मुख्य रूप से हरी पत्ती को चटनी ,सलाद , सब्जी ,या नास्ता को सजाने के लिए किया जाता हैं जबकि सूखे बीज का उपयोग धनिया पाउडर , या मिक्स मसालों के लिए किया जाता हैं इसके अलावा धनिया से तेल भी निकला जाता हैं जिसका इस्तेमाल औसधी बनाने में किया जाता हैं , धनिया एक सुगन्धित फसल होने के साथ ही साथ यह शारीर को गर्मी प्रदान करता ,खून को साफ करता हैं व पेट समन्धि रोगों को दूर करता हैं |
- धनिया की Organic Farming के लिए सुझाव:-
धनिया एक ऐसी मसाला हैं जिसे हरी वा सुखी दोनों अवस्था में खाने के लिए उपयोग किया जाता हैं , जब लोग इसे उगाने के लिए रासायनिक खाद और कीटनाशी का प्रयोग करते हैं तो उन रसायन को बनाने में प्रयोग होने वाले तत्व फसल के अन्दर बहुत लबे समय तक रहते हैं और उनका अंश हरी पत्तियो या सूखे बीज के माध्यम से खाने वालो के शारीर में पहुचता रहता हैं जो लोगो की सेल्स को खत्म करते रहते हैं और यही बाद में गंभीर बीमारी को जन्म देते हैं , इन सभी गंभीर बीमारी को खत्म करने के लिए सिर्फ एक ही उपाय हैं वह हैं Coriander की Organic Farming , इससे स्वादिस्ट और हेल्थ फुल फसल मिलता हैं |
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