मेथी की जैविक खेती से लाभ
मेथी एक ऐसे पौधा हैं जिसका इस्तेमाल हरी सब्जी बनाने वा विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में मसाले के रूप में किया जाता हैं,इसलिए मेथी की जैविक खेती (Fenugreek organic farming) करना आवश्यक हैं,हरी पत्तीदार सब्जियो में पालक के बाद मेथी का स्थान आता हैं,यह ठंडी जलवायु की फसल हैं जिसके लिए ना तो अधिक तापमान,ना अधिक वर्षा की जरुरत होता हैं और ना ही यह पौधा अधिक ठण्ड को सहन कर सकता हैं इसलिए भारत में बर्फीले क्षेत्र को छोड़ कर सभी भागो में अक्टूबर -नवम्बर में मेथी की बोवाई की जाती हैं और मार्च-अप्रैल में फसल की कटाई कर ली जाती हैं |
मेथी के 100 ग्राम में पोषक तत्व
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कैलोरी |
323 |
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वसा |
10 mg |
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कोलेस्ट्राल |
0 mg |
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सोडियम |
0 mg |
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पोटेशियम |
770mg |
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कुल कार्बोहाइड्रेट |
58 g |
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रेशा |
25 g |
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प्रोटीन |
23 g |
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विटामिन A |
15 mg |
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विटामिन C |
8.6 mg |
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विटामिन D |
17.66mg |
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विटामिन B-6 |
5 mg |
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आयरन |
36 mg |
इस पोस्ट में हम नीचे उल्लेख किये गए विषय पर विस्तार पूर्वक चर्च करेंगे जिसे लोग अक्सर खोजते हैं
- आर्गेनिक मेथी या कसूरी मेथी कैसे उगाये
- गमलो में कसूरी मेथी कैसे उगाये जाते हैं
- मेथी के प्रमुख किस्मे
- कसूरी मेथी कैसे बनाये
- मेथी की फसल से कैसे लाखो रूपए कमाए
- मेथी के फायदे
- आर्गेनिक खेती में मेथी कैसे लाभकारी बन सकता हैं
मेथी की खेती छोटे किसानो के लिए बहुत लाभकारी हो सकता हैं यदि इसकी खेती को सही तरीके से करे तो क्योकि इसकी मांग साल भर होता हैं , मेथी की खेती करने के लिए कुछ बातो को ध्यान में रखना जरुरी जिससे उत्पादन अच्छा हो।
कुल :- दलहनी
मेथी की खेती के लिए जलवायु :-
मेथी की खेती अद्रजलवायु के लिए उपयुक्त होता हैं यानि की न अधिक वर्षा ,ना अधिक ठण्ड और ना ही अधिक गर्मी , बीज बोने वा उगते समय मौसम साफ होना चाहिए जबकि दाना पकते समय थोड़ा लबे समय तक गर्मी की जरुरत होता हैं भारत में इसकी खेती के लिए अक्टूबर से नवम्बर तक बोवाई अच्छा होता हैं वैसे इसे जनवरी के प्रथम सप्तह तक भी बो सकते हैं लेकिन इनकी उपज बहुत कम होता हैं यु कहे तो पत्तियों के 1-2 कटाई बाद फसल समाम्प्त हो जाता हैं और मार्च से अधिक गर्मी होने के करण बीज नही बनता हैं यदि बन भी जाये तो दाना बहुत छोटा होता हैं |
मेथी के लिए उपयुक्त मिट्टी:-
मेथी के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी बालुई दोमट होता हैं जिनकी जलधारण क्षमता वा जीवांश पदार्थो बहुत अच्छा होता हैं वैसे आर्गेनिक खेती के लिए ऐसे ही मिट्टी की जरुरत , वैसे उचित पोषक प्रबधन से सभी प्रकार की मिट्टी में मेथी की खेती की जा सकती हैं जिसकी PH मान 6-7 हो
खेत की तैयारी और खाद / उर्वरक :-
जमीन में ओल ( जुताई के लिए उपयुक्त नमी ) आने पर मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार गहरी जुताई करने के बाद दो बार कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करना चाहिए यदि मिट्टी पलटने वाले हल नही हैं तो देशी हल से ही 3-4 जुताई कर सकते हैं इससे मुट्टी अच्छी तरह से भुरभुरी हो जाता हैं , ध्यान रहे देशी हल से प्रय्तेक जुताई के बाद पाटा लगा दे इससे मिट्टी में नमी बनी रहती हैं, 1-2 ट्रेक्टर गोबर की सड़ी हुई खाद या फीर 1 टेक्टर कम्पोस्ट खाद या फिर 100 किलो ग्राम केचुए की खाद प्रति एकड़ खेत की प्रथम जुताई के बाद खेत में अच्छी तरह से फैला दे जिससे अंतिम जुताई तक खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाए , इसके अलावा खेत से पत्थर , प्लास्टिक आदि हो तो उसे हटा दे | यदि अच्छे मात्र में जैविक खाद उपलध ना हो तो 50 किलो ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट 30 किलो ग्राम मयूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति एकड़ खेत की अंतिम जुताई करते समय खेत में डाल दे चुकी मेथी एक दलहनी फसल हैं इसलिए इसे नत्रजन की कम मात्र लगता हैं इसलिए बोवाई के 20-25 दिन बाद 10 किलो ग्राम और 60-70 दिन बाद 7 किलो ग्राम यूरिया प्रति एकड़ डाले इससे अच्छी उपज होता हैं |
बीज की मात्र , उपचार व मेथी की प्रमुख किस्मे :-
बोवाई के लिए बीज 8-10 किलो ग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता पड़ता हैं यदि लाइन में बोवाई किया जाये तो 6-8 किलो बीज एक एकड़ के लिए प्रयाप्त होता हैं , बीज को बोने से पहले जैविक उपचार ट्राइकोडर्मा 1 ग्राम एक किलो बीज की दर से उपचार करना चाहिए इसके बाद 2 ग्राम राइजोबियम कल्चर से प्रति किलो बीज को उपचार करना चाहिये , बीज उपचार के लिए एक बंद डिब्बा ले उसमे 1 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को और एक किलोग्राम बीज में मिला ले इसमें थोडा पानी डाले और ढक्कन लगाकर अच्छी तरह से हिला दे , इसके बाद बीज को छाया में फैला दे , राजोबियम कल्चर से उपचार करने के लिए गुड की पतला चासनी बनाये फिर चासनी को ठंडा होने दे 10 ग्राम चासनी में 2 ग्राम राजोबिय्म कल्चर को मिलाये फिर इसे ट्राइकोडर्मा उपचार की तरह ही डिब्बे में बंद करके अच्छे से हिलाए अब डिब्बे से निकलकर बोवाई कर सकते हैं इससे भूमि जनित बीमारी नही होता हैं साथ ही जैविक उपचार से अच्छी गुणवत्ता के फसल तैयार होता हैं यदि ट्राइकोडर्मा उपलब्ध नही हैं तो बवेस्टिन 1 ग्राम दावा को एक किलोग्राम बीज की मात्र के हिसाब से उपचार करना चाहिए | इससे भूमि जनित बीमारी नही होता हैं
मेथी की उन्नतशील किस्मे :
कसूरी मेथी :
यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली द्वारा विकसित की गई है. इस की पत्तियां छोटी और हंसिए के आकार की होती हैं. इस में 2-3 बार कटाई की जा सकती है. इस किस्म की यह खूबी है कि इस में फूल देर से आते हैं और पीले रंग के होते हैं, जिन में खास किस्म की महक भी होती है. बोआई से ले कर बीज बनने तक यह किस्म लगभग 5 महीने लेती है. इस की औसत पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
लाम सिलेक्शन :
दक्षिणी राज्यों में इस किस्म को बीज लेने के मकसद से उगाया जाता है. इस का पौधा औसत ऊंचाई वाला, लेकिन झाड़ीदार होता है. इस में शाखाएं ज्यादा निकलती हैं.
पूसा अर्ली बंचिंग :
मेथी की इस जल्द पकने वाली किस्म को भी आईसीएआर द्वारा विकसित किया गया है. इस के फूल गुच्छों में आते हैं. इस में 2-3 बार कटाई की जा सकती है. इस की फलियां 6-8 सेंटीमीटर लंबी होती हैं. इस किस्म का बीज 4 महीने में तैयार हो जाता है.
यूएम 112 :
यह मेथी की उन गिनीचुनी किस्मों में से एक है, जो सीधी बढ़ती है. इस के पौधे औसत से लंबे होते हैं. भाजी और बीज दोनों के लिहाज से यह किस्म उम्दा होती है.
कश्मीरी :
मेथी की कश्मीरी किस्म की ज्यादातर खूबियां हालांकि पूसा अर्ली बंचिंग किस्म से मिलतीजुलती हैं, लेकिन यह 15 दिन देर से पकने वाली किस्म है, जो ठंड ज्यादा बरदाश्त कर लेती है. इस के फूल सफेद रंग के होते हैं और फलियों की लंबाई 6-8 सेंटीमीटर होती है. पहाड़ी इलाकों के लिए यह एक अच्छी किस्म है.
हिसार सुवर्णा :
चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा विकसित की गई यह किस्म पत्तियों और दानों दोनों के लिए अच्छी होती है. इस की औसत उपज 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. सर्कोस्पोरा पर्र्ण धब्बा रोग इस में नहीं लगता है. हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के लिए यह एक बेहतर किस्म है. इन किस्मों के अलावा मेथी की उन्नतशील किस्में आरएमटी 1, आरएमटी 143 और 365, हिसार माधवी, हिसार सोनाली और प्रभा भी अच्छी उपज देती हैं.
गमलो में मेथी कैसे उगाये :-
बोवाई वा निराई गुड़ाई
मेथी की बोवाई अक्टूबर के दुसरे सप्ताह से नवम्बर के अंतिम सप्ताह तक कर लेना चाहिए इससे मेथी की पत्तियो कटाई 6-7 बार किया जा सकता हैं जिससे पत्तिया व बीज दोनों की उपज बढ़ जाता हैं , ध्यान रहे बोवाई करते समय मिट्टी में उपयुक्त नमी रहे ,मेथी में अच्छी उपज के लिए निराई गुड़ाई करना बहुत जरुरी हैं इसके लिए बोवाई के 25-35 दिन में पहली निराई गुड़ाई करना चाहिये उसके बाद 45-55 दिन में |
सिचाई
यदि बोवाई की शुरुआती अवस्था में नमी की कमी महसूस हो तो बोवाई के तुरन्त बाद एक हल्की सिंचाई की जा सकती है, वरना पहली सिंचाई 4-6 पत्तियाँ आने पर ही करें। सर्दी के दिनों में 2 सिंचाइयों का अंतर 15 से 25 दिन (मौसम व मिट्टी के मुताबिक) और गरमी के दिनों में 10 से 15 दिन का अंतर रखना चाहिए।
किट वा रोग प्रबंधन :-
मेथी की फसल फसल में उतने ज्यादा किट पतंगे नही लगते फिर भी कभी-कभी मौसम खराब होने से पत्ती खाने वाले किट लग जाते हैं अतः इनकी रोकथाम के लिए जैविक दवाई विजया 666 या JosB-5 का 1 मिलीलीटर 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करे इससे किट पतंगों की रोकथाम तो होता ही हैं साथ में पौधों को बीमारी से लड़ने के लिए रोगरोधक को भी बढ़ता हैं |
बीमारी :- मेथी में 2 प्रकार के प्रमुख रोग लगते हैं 1 सफ़ेद चूर्णी असिरता :- इसमें पत्ती पर सफ़ेद दाग पड़ने लगते हैं बाद में पत्ती के सभी भाग में फ़ैल जाता हैं और पौधे कमजोर हो जाते हैं यह रोग फफूंद के कारण होता हैं इसकी उपचार शुरुवाती दौर में हो जाये तो इस बीमारी से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता हैं इसके लिए भी जैविक दवाई JOSB-5 को 1.5 मिलीलीटर दवाई को 1 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करे तो यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता हैं ,
2 जड़ गलन :- यह रोग अधिक नमी के कारण होता हैं इसमें पौधे के ऊपर के भाग हरे रहते जबकि जड़ मर जाता हैं और पौधे गिरने लगते हैं इसके उपचार के लिए खेतो में पानी भारवो ना होने दे जल निकास की वाव्य्स्था करनी चाहिए , बीज को हमेसा उपचार करके ही बोना चाहिए
कटाई एवं उपज :-
यदि हरी पत्तिया कटनी हैं तो जब पौधे 5-6 इंच के हो जाये तो जमीन से 1-2 इंच छोड़कर कटाई कर ले इस प्रकार से मेथी की 1 बार कटाई के बाद बीज लिया जाए, तो औसत पैदावार करीब 2-3 क्विंटल दाना प्रति एकड़ मिलती है जबकि हरी पत्ती 5-7 कुंटल तक मिलता हैं जिसे सुखाने पर 1-1.5 कुंटल होता हैं वही 4-5 कटाई की जाएं तो यही पैदावार घट कर करीब 40 किलो दाना प्रति एकड़ रह जाती है. जबकि भाजी या फिर हरी पत्तियों की पैदावार करीब 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ तक मिल जाता हैं . जबकि इसे सुखाने पर लगभग 4-5 कुंटल होता हैं |
कसूरी मेथी कैसे उगाये
दरअसल कसूरी कोई अलग प्रकार का मेथी नही होता बल्कि जो मेथी सामन्य तौर से उगाई जाती हैं वही मेथी ही कसूरी मेथी हैं , मेथी की हरी पत्ती को कट कर धुप में सुखाया जाता हैं जिसे कसूरी कहा जाता हैं, कसूरी राजस्थान में एक जगह का नाम हैं जह पर पहली बार मेथी की हरी पत्तियो को सुखाकर विभिन्न प्रकार की व्यंजनों में उपयोग किया गया और वही से ही इसका चलन बढ़ा, जिसे अब लोग मेथी के सूखे पत्ती को कसूरी मेथी के नाम से जानते हैं , हल्की इसमें गोल आकार के पत्ती का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता हैं क्योकि इसमें अलग ही तरह के खुशबू होता हैं , लेकिन ऐसा नही की लंबी पत्ती वाले को नही सुखाया जाता वह भी बहुत अच्छा होता हैं .
मेथी के उपयोग वा फायदे
मेथी के बहुत सारे फायदे हैं , सबसे पहले तो इसे हरी साग के रूप में पालाक के बाद सबसे ज्यादा खाया जाता हैं , सूखे वा हरी साग का उपयोग विभिन्न प्रकार की मसाला वाली व्यंजन बनाने में किया जाता हैं इसके अलावा मेथी के बीज से तेल निकला जाता हैं जिससे नई बाल उगाने दवाई वा कई प्रकार की सौदर्य सामग्री बनाने में किया जाता हैं , मेथी के बीज को खाली पेट में खाने से शुगर व ब्लड प्रेशर को कम करने में मदत करता हैं गर्भवती औरतें इसका सेवन करें, तो गर्भाशय ठीक रहता है और दूध ठीक ठाक बनता है, इसके अलावा मेथी के उपयोग से पेट समन्धि सभी पराक्र की रोग दूर हो जाते हैं ,मेथी में कई सरे विटामिन , आदि पाए जाते हैं जिसे हमने सबसे पहले ही चार्ट में बता दिया हैं , इसलिए डाक्टर लोग भी लोगो को मेथी खाने की सलह देते हैं |
मेथी की खेती से किसान कैसे लाखो कमा सकते हैं :-
यदि किसान भाई खासतौर से जो छोटे किसान हैं यदि वो लोग मेथी की संही तरीके से खेती करे तो इसकी फसल से लाखो रूपए कमा सकते हैं जैसे की हमने मेथी के उपज उपयोग वा लाभ को बता दिया हैं अगर उसको ध्यान में रखते हुए , मेथी उगाये और उसे बाजार में बेचे तो 1 एकड़ से 1-1.5 लाख तक कमा सकते हैं, क्योकि मेथी के हरी साग को हरी वा सुखी दोनों रूप में बेच सकते हैं हरी पत्ती से ज्यादा सुखी पत्ती का बाजार भाव होता हैं जो 100-300 रूपए प्रति किलोग्राम तक होता हैं जबकि इसके बीज की कीमत 70-150 रूपए तक होता हैं , वर्तमान में कसूरी मेथी वा दाना की मांग विदेशो में बढ़ रहा हैं जिससे भारत वेदेशो को बड़ी मात्र में हर साल कसूरी मेथी वा दाना निर्यात करता हैं , इससे आने वाले समय में किसानो के लिए मेथी बड़ी लाभकारी होगा | मेथी से कई सरी औषधि बनाने के कारण भी मेथी की मांग बढ़ रहा हैं |
मेथी आर्गेनिक खेती के लिए लाभकारी कैसे होता हैं ?:_
मेथी एक दलहनी फसल हैं जिसकी जड़ो में गठे होता हैं उसमे राइजोबियम जीवाणु होता जो वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन गैस को नाइट्रेट के रूप में मिट्टी के अन्दर फिक्स करता हैं , जिसे बाद में पौधा नत्रजन के रूप में लेता हैं , इसके , इस लिए इसे अनाज या अन्य सब्जी वाली फसल के बाद इसे लगा सकते हैं जिससे मिट्टी की पोषक तत्व में सुधार होता हैं , इसके अलावा मेथी को हरी खाद के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं , जिसके लिए मेथी को फूलने के पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करके मिट्टी में दबा देना चाहिए , इससे 30-45 दिन में सड़कर अच्छी खाद बन जाता हैं , जिससे आने वाले फसल के लिए खाद की मात्र खेत में अलग से डालने की जरुरत नही पड़ता हैं | इसके अलवा मेथी को मिक्स फसल के लिए आलू + मेथी , ले सकते हैं




