कृषि-व्यावसाय लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
कृषि-व्यावसाय लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Mushroom Cultivation 



मशरूम उत्पादन एक ऐसा उत्पादन हैं जिसे घर के अन्दर उगाया जाता हैं , और इसकी खेती भारत में  मई जून को छोड़कर पुरे वर्ष भर किया जा सकता हैं , ऐसे किसान जिनके पास खेती करने के लिए पर्याप्त खेत नही हैं ऐसे किसान भी अपने घर के एक छोटे से कमरे में मशरूम की खेती को अपने आय का साधान बना सकते हैं। 

मशरूम जिसे फुटू या पीहरी भी कहा जाता हैं ,मशरूम कुकुरमुत्ता नही बल्कि यह फफूंदो का फलनकाय हैं , जो पौष्टिक ,रोगरोधक , स्वादिष्ट तथा विशेष महक के कारण  आदि काल से एक महत्वपूर्ण खाद्य आहार हैं , जो बिना पत्ती बिना कलिका बिना फुल के भी फल बनाने की अतभुत  क्षमता रखता  हैं।  मौसम की अनुकूलता एवं सघन वनों के कारण भारत में प्राकृतिक रूप से जंगलो में बड़ी  मात्र में विभिन्न प्रजाति के मशरूम उगता हैं जिसमे से  अधिकतर खाने योग्य नही होता , और जो खाने योग्य होता हैं उसका बाजार मांग भी अधिक हैं। 

मशरूम के प्रमुख उपयोगिता :-

मशरूम का प्रयोग खाने में कई तरह से होता हैं जैसे की सब्जी , आचार , पुरवा ( सुखा सब्जी ), वा कई प्रकार की नमकीन बनाने में भी मशरूम का प्रयोग होता हैं , इसके अलावा मशरूम का उपयोग बहुमूल्य टॉनिक के रूप में औषधि बनाने में किया जाता हैं जिसकी मांग कई देशो में लगतार बढ़ रहा हैं। 

मशरूम खाने के फायदे :-

मशरूम उगाने में किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद या दवाई का छिडकाव नही किया जाता हैं , जिससे मशरूम एक उच्च प्रकार का सुरक्षित खाद्य पदार्थ हैं , मशरूम में लगभग 22-35 प्रतिशत उच्च कोटि की प्रोटीन पायी जाती है जिसकी पाचन शकित 60-70 प्रतिशत तक होती है। जो पौधों से प्राप्त प्रोटीन से कही अधिक होती है। इस प्रोटीन में शरीर के लिये आवश्यक सभी अमीनो जैसे की  अम्ल, मेथियोनिन, ल्यूसिन, आइसोल्यूसिन, लाइसिन, श्रीमिन, ट्रिप्टोफेन, वैलीन, हिस्टीडिन और आर्जीनिन आदि की बड़ी मात्र में प्राप्ति हो जाती है, जो अन्य मांस या दाल,अनाज आदि में नही पाया जाता हैं।  मशरूम में 4-5 प्रतिशत कार्बोहाइडेटस पाये जाते हैं जिसमें मैनीटाल 0.9, हेमीसेलुलोज 0.91, ग्लाइकोजन 0.5 प्रतिशत विशेष रूप से पाया जाता है। साथ ही  पर्याप्त मात्रा में रेशे भी पाया जाता हैं जो पाचन क्रिया को ठीक करता हैं , जबकि मशरूम में वसा बहुत कम मात्र में पाया जाता हैं जबकि सोडियम साल्ट  नहीं पाया जाता है। जिसके कारण मोटापे, गुदा तथा हदय घात रोगियों के लिये आदर्श आहार है, हदय रोगियों के लिए कोलेस्ट्राल, वसा एवं सोडियम साल्ट सबसे अधिक हानिकारक पदार्थ होते हैं।मशरूम में  विटामिन A, D तथा K नहीं पाया जता है परन्तु एगॉस्टेराल् पाया जाता है, जो मानव शरीर के अन्दर विटामिन डी में परिवर्तित हो जाता है। इसमें आवश्यक विटामिन जैसे थायमिन, राइबोफ्लेविन, नायसिन, बायोटिन, एस्कार्बिक एसिड, पेन्टोथिनिक एसिड भी पाए जाते हैं , मशरूम स्वास्थ्य के लिये सभी प्रमुख खनिज लवण जैसे -पोटैशियम, फास्फोरस, सल्फर, कैलिशयम, लोहा,ताँबा, आयोडीन और जिंक आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। यह खनिज अस्थियों, मांसपेशियों, नाड़ी संस्थान की  कोशिकाओ तथा शरीर की क्रियाओं में सक्रिय होते हैं , इस प्रकार मशरूम एक उच्च कोटि के खाद्य होने के कारण लोगो में कुपोषण की समस्या को खत्म कर सकता हैं। 

उत्पादन योग्य मशरूम की किस्म वा तकनीकी जानकारी :-

भारत में प्राकृतिक रूप से जंगलो, खेत-खलियानों में अनेको प्रकार की मशरूम उगते हैं किन्तु उसमे से केवल कुछ ही प्रजातियों को खाया जाता हैं , जबकि व्यावसायिक स्तर में केवल कुछ ही प्रकार की मशरूम की उत्पादन किया जाता हैं , जो  आयस्टर मशरूम , पैरा मशरूम , सफेद दुधिया मशरूम , सफेद बटन मशरूम प्रमुख हैं , जिनकी मांग लगतार बढ़ रहा हैं। 

मशरूम कैसे उगाये /मशरूम उगाने के तकनीक :-


आयस्टर मशरूम :-  

आयस्टर मशरूम जिसे टिंगहरी भी कहा जाता हैं का उत्पादन किसान भाई अपने छोटे से साफ सुथरे कमरे में बड़ी आसानी से कर सकते हैं इसके लिए किसानो को नीचे बताये गए चरणों को ध्यान रखना होगा :-





  • 100 लीटर पानी में 7.5 ग्राम बाविस्टिन एवं 125 मी.ली. फार्मेलिन को अच्छे से मिक्स कर दे। 
  • फिर इसमें 12 किलो ग्राम गेहू का भूसा या धान की पैरा कुट्टी को डुबो दे और ऊपर से पालीथीन की शीट से 10-12 घंटे के लिए ढक दे , ध्यान रहे पूरा गेहू का भूसा या पैरा कुट्टी पानी में अच्छे से डूबे रहे हो सके तो इसके ऊपर कोई पत्थर आदि वजनी चीज रख दे। 
  • 10-12 घंटे बाद उपचारित गेहू के भूसा या पैरा कुट्टी को किसी जाली या बास की टोकनी के ऊपर रख दे जिससे पूरा पानी आसानी से निकाल जाये , जब पूरा पानी निथर जाये उसके बाद भूसा या कुट्टी को साफ पालीथीन शीट पर 2-3 घंटे के लिए छाया में फैला दे। 
  • अब सूखे 12 किलो ग्राम भूसा या कुट्टी उपचारित करने वा छाया में सुखाने के बाद लगभग 40 किलो ग्राम हो जायेगा , इसमें 3 प्रतिशत की दर से 2 किलो ग्राम मशरूम बीज को अच्छे से मिक्स कर दे।
  

  • अब 5 किलोग्राम की क्षमता वाले पालीथीन बैग में 4-4 किलो ग्राम मशरूम बीज युक्त भूसा या कुट्टी को अच्छे से दबा दबाकर भरे और फिर पालीथीन की मुख को नाइलान रस्सी से बांध से और सूजे की मदद से पालीथीन की नीचे को 2-3 छिद्र कर दे। 
  • बैग रखने से 24 घंटे पहले कमरों में  2 प्रतिशत फार्मेलिन ( एक लीटर पानी में 2 मिली.लीटर दावा ) का छिडकाव कर देना चाहिये उसके बाद बीज युक्त थैलों को रेख पर रखे 15-20 दिन में कवक जाल पुरे पालीथीन के अन्दर फ़ैल जाता हैं। 
  • अब पालीथीन को नये ब्लेड की सहायता से सावधानी पूर्वक काट कर हटा दे और कवक जाल की बंडलो को नाइलान की रस्सी से बांध कर लटका दे। 


  • अब इस बण्डल में सुबह शाम साफ पानी हजारे की माध्यम से छिडकाव करे एवं कमरे का तापमान 24-28 से.डिग्री।  तक एवं आद्रता 85-90 प्रतिशत बनाये रखे , प्रकाश के लिए खिडकियों को 3-4 घंटे के लिए खोल दे या फिर खिड़की की व्यवस्था ना हो तो 4-5 घंटे टूयबलाइट को चालू रखे। 
  • बण्डल को लटकाने के 2-3 दिन में मशरूम की कलिका बनने शुरु हो जाते हैं जो अगले 3-4 दिन में तोड़ने योग्य हो जाता हैं। 
  • जब मशरूम की कलिका पंख की आकार की हो जाये तब इन्हें मरोड़कर तोड़ लिया जाता हैं। 
  • मशरूम पहली तुड़ाई के 6-7 दिन बाद दूसरी तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता हैं एवं तीसरी फसल दूसरी तुड़ाई के 7 दिन बाद तैयार हो जाती हैं , इस प्रकार से 30-40 दिन में आयस्टर मशरूम के एक फसल से लाभ कमा सकते हैं। 

 पैरा मशरूम की उत्पादन विधि :

जो भी किसान भाई पैरा मशरूम उगाना चाहते हैं , वो बड़ी आसानी से उगा सकते हैं , बाजार में पैरा मशरूम की मांग सबसे ज्यादा हैं।  तथा इसकी लागत भी अन्य मशरूम की अपेक्षा कम हैं। 



  • पैरा मशरूम उगाने के लिए मुख्य रूप से पैरे का इस्तेमाल किया जाता हैं।  इसमें धान की पैरा को 1.5 फिट लबे काट कर 1/2 फिट चौड़े  बंडल तैयार कर लिया जाता हैं और इस बण्डल को 14-16 घंटे तक 2 प्रतिशत कैलिशयम कार्बोनेट युक्त साफ पानी में भिगो दे। 
  • इसके बाद पानी को निथार कर इन बंडलो में उबलते हुए गर्म पानी डाल कर निर्जीवीकृत किया कर लिए जाता हैं, और फिर पानी को निथर लिया जाता हैं , इसके बाद बण्डल को एक के ऊपर एक 4-5 लेयर पत्थर या लकड़ी की रेख पर रखते हैं , और प्रत्येक लेयर पर डालो की चुनी को छिडकते जाते हैं वा 0.5 प्रतिशत मशरूम बीज को भी डालते जाते हैं। 
  • अब बीज युक्त बंडलो को अच्छी तरह से पालीथीन की शीट से ढक दे इस समय कमरे का तापमान 32-34 डिग्री से. होना चाहिये। 
  • 6-8 दिन में कवक जाल फ़ैल जाता हैं , अब पालीथीन की शीट को बंडलो में से हटा दे व हल्का हजारे के माध्यम से साफ पानी का छिडकाव करे इस समय कमरे का तापमान 28--32 डिग्री से. होना चाहिये जबकि नमी 80 प्रतिशत होना चाहिये।  
  • यदि कमरे का तापमान अधिक हो तो खिड़की को 2-3 घंटे के लिए खोल दे , या कमरे के तापमान बढ़ाने के लिए बल्व जलाये। 
  • कवक जाल फैलने के बाद  2-3 दिन में कलिकाए बनना शुरु हो जाता हैं जो अगले 4-5 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता हैं। 

सफेद दुधिया मशरूम की खेती :-



यह बहुत ही स्वादिस्ट होता हैं और यह केसिंग मिट्टी जो की 5-6 दिन पहले ,खेत की मिट्टी एवं रेत 1:1 मिलाकर तैयार किया जाता हैं , में उगाया जाता हैं किन्तु पहले मशरूम की स्पनिग गेहू की भूसा या पैरा कुट्टी में करते हैं उसके बाद केसिंग मिट्टी की परत लगा देते हैं ,

  • फार्मेलिन 135 मी.ली. एवं 7.5 ग्राम बाविस्टिन दावा को 125 लीटर पानी में घोलकर अच्छे से मिलाये इस मिक्स किये गए पानी में 12-14 किलो ग्राम गेहू की भूसा या पैरा कुट्टी को 8-10 घंटे के लिए भिगोये और पालीथीन की शीट से अच्छी तरह से ढक दे। 
  • 8-10 घंटे बाद उपचार किये गए भूसा या कुट्टी को पानी से बहर निकलकर पानी को अच्छे से निथर ले , इस निथारे गए उपचारित कुट्टी या भूसे को छायादार स्थान में पालीथीन की शीट पर 2 घंटे के लिए फैला कर सुखा दे। 
  • अब उपचारित भूसा या कुट्टी लगभग 40 किलो ग्राम का हो जायेगा इसे 10 भाग में बाट दे 
  • 5 किलो क्षमता वाली पालीथीन बैग में भूसे को 4 प्रतिशत की दर से परत विधि द्वरा बिजाई करते हुए अच्छे से दबाकर भरे वा थैली की मुख को नाइलान की रस्सी से बांध से वा निचे साइड पर 3-4 छेद कर दे 

  • बैग रखने से 24 घंटे पहले कमरों में  2 प्रतिशत फार्मेलिन ( एक लीटर पानी में 2 मिली.लीटर दावा ) का छिडकाव कर देना चाहिये उसके बाद बीज युक्त थैलों को रेख पर रखे 22-25 दिन में कवक जाल पुरे पालीथीन के अन्दर फ़ैल जाता हैं। 
  • कवक जाल फैले हुए बैग को केसिंग मिट्टी  (5-6 दिन पहले ,खेत की मिट्टी एवं रेत 1:1) को फार्मेलिन से उपचारित करने के बाद 4-5 से.मी. परत चढ़ाये , इस दौरान कमरे का तापमान 28-30 से. डिग्री होना चाहिये। 
  • मशरूम कलिकाए 5-6 दिन में बनने लगते हैं , इस अवस्था में कमरे का तापमान 30-32 डिग्री  से. बनाये रखना चाहिये वा हजारे की माध्यम से हल्की सिचाई करना चाहिये। 
  • पिन हेड आने के 4-6 दिन बाद दुधिया मशरूम पूर्ण रूप से विकसित हो जाता हैं। 
  • पहली तुड़ाई पिन हेड आने के बाद ही किया जाता हैं जबकि दूसरी तुड़ाई पहली तुड़ाई के 8-10 दिन बाद किया जाता हैं , इसी प्रकार से तीसरी तुड़ाई भी 8-10 दिन बाद किया जाता हैं। 

  • सफेद बटन मशरूम :-



    सफेद बटन Mushroom की  Cultivation सफेद दुधिया मशरूम की तरह ही किया जाता हैं , किन्तु या अधिक गर्म क्षेत्रों में नही उगाया जा सकता हैं , साथ ही इसमें केसिंग मिट्टी के स्थान में कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल होता होता हैं , बाकि सारी प्रक्रिया सफेद दुधिया मशरूम की तरह ही होता हैं। 




    मिश्रित खेती वा मिश्रित फसल के लाभ ||टमाटर की जैविक उन्नत खेती || तीखुर की खेती से कमाए लाखो रूपए प्रति एकड़ || जीरा की जैविक खेती || मेथी की जैविक खेती || धनिया की जैविक खेती || जैविक खेती कैसे करे || रसायन मुक्त खेती कैसे करे || Bio Nutrient || जैविक कीटनाशक  || किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनाये || किसान सम्मान का लाभ किसान कैसे ले ||   ट्रिईकोडार्मा जैविक खेती में लाभ दायक 

    Agriculture Home Business 

    घरेलु कृषि व्यावसाय || Agriculture Home Business


    किसान भाई अपने उत्पाद का उचित और अच्छे भाव प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने कृषि को घरेलु कृषि व्यावसाय या Agriculture Home Business  में बदलना होगा , जिससे किसानो के पुरे परिवार को साल के अधिकतम समय तक रोजगार मिल सके वा अपने उत्पाद का अपना भाव तैय कर सके। 

    किसान अपने कृषि उत्पाद को लोगो की जरुरत के हिसाब से अंतिम उत्पाद में बदलकर बेचे तो उसे अधिक मुनाफा हो सकता हैं , तथा किसान के अधिकतर खाली समय का उपयोग  इन उत्पादों को बनाने में किया जा सकता हैं , जिससे घर के सभी सदस्यों को काम मिल सकता हैं। 
    जब किसान अपने फसल को खेत से निकाल कर बाज़ारो तक बेचने के लिए लाते हैं , तो यह किसान अपने उत्पाद का भाव खुद तैय नहीं कर पाता हैं , जिससे किसान को कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता हैं। लेकिन जब उन उत्पाद को नए उत्पाद में बदल दे तो किसान उन उत्पाद का मूल्य सेट कर सकता हैं वा उन प्रोडक्ट को अधिक समय तक स्टोर कर सकता हैं  तथा दूर-दूर तक भेज सकता हैं।  जैसे की आलू  से चिप्स , भुजिया बनाकर वा आलू का आटा बनाकर बेचे या टमाटर की खेती करके , टमाटर की केचप।  सॉस , मिक्स अचार , टोमेटो पावडर आदि बनाकर बेच सकते हैं ,जिससे किसानो को अधिक लाभ मिल सकता हैं , इस  प्रकार की व्यावसाय को बड़े स्तर पर करने के लिए एक गाव के पुरे किसान या आसपास के अन्य गावो के किसान आपस में जुड़ कर एक उद्योग के रूप में कर सकते हैं , जिससे वर्ष भर किसानो द्वारा उत्पादित होने वाले उत्पाद को नए उत्पाद में बदलने का काम किया जा सकता हैं | इसप्रकार के व्यावसाय में , राइस मील , आटा मील , दाल मील , मसाला मील , तेल मील आदि हो सकते हैं तथा इन  कार्यो से  भूसा , खली आदि को पशु चारा , मुर्गी चारा , मछली चारा ,जैविक खाद  आदि प्रोडक्ट  बनाया जा सकता हैं जिससे  किसानो को और अधिक लाभ हो सकता हैं |

    कृषि पर आधारित  घरेलु व्यावसाय :-

    इस प्रकार की व्यावसाय किसान अपने उत्पाद को घर में ही कुछ सुविधावो को इकठा करके नए उत्पाद में बदल सकते हैं  और मोटी रकम कमा सकते हैं। किसान जब  फसल  उगाकर बाजार में बेचता हैं तो किसानो के फसलो को बहुत कम भाव में खरीदा जाता हैं , और फिर उसी फसल को बाजार मांग के अनुसार नए उत्पाद में बदलकर ज्यादा भाव में बेचते हैं, जिससे खरीदारों को अधिक मुनाफा होता हैं , ऐसे में छोटे वा माध्यम वर्ग के किसानो के लिए कृषि पर आधारित घरेलु व्यावसाय एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं। इस प्रकार  की व्यावसाय में प्रमुख हैं | :- 


    चिप्स वा भुजिया निर्माण :-
     

    हमारे देश में ड्राई फ़ूड खाने वालो की संख्या लगातार बढ़ रहा हैं , जिससे इस प्रकार की सामग्री की मांग लगातार बढ़ रहा हैं ऐसे में गाव में रहने वाले  किसानो के लिए घरेलु स्तर पर ड्राई फूड का उत्पादन करना और उसे शहरो के बाजारों  में बेचना एक फायदेमंद हो सकता हैं।  चिप्स में आलू चिप्स , केले का चिप्स , मक्के का चिप्स , मैदे वा बेसन , आदि का चिप्स बना सकते हैं।   जबकि भुजिया में मुंग दाल , मूंगफली वा बेसन को मिक्स करके , आलू की  भुजिया , बेसन से दाल मोटा, मिक्सचर आदि  बनाकर तथा इसे पैकिंग करके बाजार में बेचा जा सकता हैं जिससे किसानो को अधिक लाभ मिल सकता हैं। 

    पापड़ वा आचार निर्माण :-

    किसान अपने खेत में मुंग की खेती करके मुंग की दाल , मुंग का बेसन वा बेसन से पापड़ बना सकता हैं जबकि किसान अपने खेतो में आवला , आम , नीबू  ,  आदि से अमचुर पावडर , आम रस , आवले की लाडू , मुरबा , जूस , सामान्य आचार, और मिक्स आचार बनाकर बाजार में बेचा जा सकता हैं। यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं जिसका मांग शहरो में काफी अधिक होता हैं। 

    बड़ी निर्माण :-

    किसान अपने खेते में रखिया या कुम्हड़ा ,मुंग, उड़द , जिमीकंद , पपीता , मुली आदि को उगाकर , इसका प्रयोग बड़ी बनाने में किया जा सकता हैं , जैसे की कुम्हड़ा बड़ी , दाल बड़ी , पपीता बड़ी , मुली बड़ी , जिमीकंद की बड़ी , ये सभी बहुत स्वादिस्ट और पोष्टिक होता हैं , और इन सब में उड़द की दाल का प्रयोग किया जाता हैं , जिसकी मांग अब शहरो वा गाव में भी बढ़ रहा हैं। 

    मसाला निर्माण :-

    छोटे वा माध्यम वर्ग के किसान , धनिया , जीरा , काली मिर्च , इलाची , मिर्च , हल्दी , लहसुन , अदरक , प्याज  आदि की खेती करके , छोटे स्तर पर भी मसाला निर्माण कर सकते हैं जैसे की।, धनिया , जीरा , मिर्ची , हल्दी , आदि की पावडर , इसके अलावा मिक्स मसाला भी बनाया जा सकता हैं , तथा , लहसुन , अदरक , प्याज का पेस्ट भी बना सकते हैं और इन सबको पैकिंग करके बाजार में बेच सकते हैं जिनका मांग हमेसा लोगो में रहेगा। यदि किसानो के पास मसालों की  पिसाई के लिए मशीन लगाने के लिए ज्यादा पैसे नही हैं तो किसान हाथो से चलने वाले घरेलु चक्की का प्रयोग कर सकते हैं। 

    आटा निर्माण :-

    गाव के किसान जो मक्का गेहू धान , चना आदि उगाते हैं , वो लोग मक्के की आटा, गेहूं की आटा , नए चवाल की आटा  वा दालो का बेसन निर्माण कर सकते हैं वर्तमान में इन सभी चीजो का मांग बहुत तेजी से  बढ़ रहा हैं जो आने वाले समय में और भी विस्तार ले सकता हैं , जो किसानो के लिए बहुत अच्छा हो सकता हैं , यदि किसानो के पास आटा पीसने की मशीन लगाने के लिए अधिक पैसे नही हैं तो इसे हाथो से चलने वाले चक्की से भी पिसा जा सकता हैं जो मशीनों से पिसने वाले आटे से कई गुना अधिक स्वादिस्ट और पोष्टिक होता हैं। 

    इसके अलावा भी कई प्रकार के घरेलु कृषि व्यावसाय || Agriculture Home Business  हो सकते हैं जैसे गेहू से आटा या मैदे का निर्माण फिर इससे  नूडल , पानी पूरी का पूरी व कई प्रकार के मिठाई भी बना सकते हैं। जिसे पैकिंग करके नजदीकी बाजार में बेचा जा सकता हैं और किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता हैं। 

    मिश्रित खेती वा मिश्रित फसल के लाभ ||टमाटर की जैविक उन्नत खेती || तीखुर की खेती से कमाए लाखो रूपए प्रति एकड़ || जीरा की जैविक खेती || मेथी की जैविक खेती || धनिया की जैविक खेती || जैविक खेती कैसे करे || रसायन मुक्त खेती कैसे करे || Bio Nutrient || जैविक कीटनाशक  || किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनाये || किसान सम्मान का लाभ किसान कैसे ले 


    Translate

     PM-किसान सम्मान निधि 

    के लिए 

    ऑनलाइन आवेदन करे 

    किसान क्रेडिट कार्ड 

    के लिए 

    ऑनलाइन आवेदन करे 

     प्रधान मंत्री फसल बीमा 

    के लिए 

    ऑनलाइन आवेदन करे 

    Importance Of Link

    https://navjiwankrishi.blogspot.in/p/all-in.html

    https://navjiwankrishi.blogspot.com/p/blog-page_16.html



        
    ==============================
                  





    Popular Posts