मिश्रित खेती और मिश्रित फसल से लाभ 

किसानो की सालाना आय को बढ़ाने के लिए मिश्रित खेती वा मिश्रित फसल का महतवपूर्ण योगदान होता हैं . साथ ही इस प्रकार के खेती या फसल उगाने से किसानो की संशाधनो का भरपूर उपयोग होता हैं , जिससे किसानो को नुकसान होने का खतरा बहुत कम होता हैं , खासकर यह छोटे वा माध्यम वर्ग के किसानो की लिए एक अच्छा माध्यम हो सकता हैं जिससे अपने छोटे से जमीन में कई प्रकार की फसलो को उगाकर या फसल उगाने के साथ ही अन्य पालन भी कर सकता हैं , जो कई प्रकार से लाभ दे सकता हैं |

वास्तव मे मिश्रित खेती वा मिश्रित फसल लगाना किसानो के लिए हमेसा फायदेमंद होता हैं , क्योकि जब एक चीज मौसम या अन्य प्रभाव से प्रभावित होता हैं तो उसका पूर्ति दूसरा खेती या फसल कर देता हैं , एक उदहारण के रूप में समझे तो एक टमाटर या आलू की खेती करने वाला यदि अपने खेत में फसल के साथ  मधुमक्खी पालन+ मछली पालन करता हैं और यदि अधिक खराब मौसम या ठीक से बाजार भाव ना मिलने से टमाटर और आलू से नुकसान हो सकता हैं , लेकिन इस नुकसान की भरपाई मधुमक्खी पालन और मछली पालन से हो जायेगा | इस प्रकार से किसान अपने नुकसान को कम कर सकता हैं |

मिश्रित खेती क्या हैं ?

 एक ऐसी खेती करने का तरीका जिसमे फसल उगाने के साथ साथ पशुपालन ,मछली पालन ,मधुमक्खी पालन , मुर्गी पालन , बतख पालन, आदि पालन एक साथ कर सकते हैं मिश्रित खेती कहलाता हैं , इस प्रकार की खेती वास्तव में अधिक लाभ देता हैं ,और किसान यही उम्मीद से इस प्रकार की खेती करना चाहता हैं |

सामान्य रूप से मिश्रित खेती करने का तरीका :-

अक्सर जो किसान मिश्रित खेती करते हैं उसमे सामन्य फसल उगाने के साथ , कुछ पशु को पाला जाता हैं , या मछली पालन किया जाता हैं , या फिर फसल के साथ मछली पालन ,मुर्गी पालन की किया जाता हैं , जिसका स्तेमाल दूध ,मास ,अंडा उत्पादन कर स्थानीय बाजारों में बेचने के लिए किया जाता हैं , जिससे किसानो को फसल के अलावा एक्स्ट्रा लाभ मिलता हैं , हमारे देश में इस प्रकार की बहुत सारे किसान हैं  जो मिश्रित खेती कर रहे , लेकिन अभी भी बहुत किसानो में अधिकतम लाभ कमाने के लिए जागरूकता नही आई हैं | जिससे किसानो की आय में कोई खास प्रभाव नही देखा गया हैं ,

उन्नत मिश्रित खेती :-

इस प्रकार की खेती में कुछ ही किसान कर पा रहे हैं जिनके पास थोड़ी बहुत जानकारी हैं , और अच्छा लाभ कमा पा रहे हैं , ये किसान अधिकतर जैविक खेती को फोकस करते हैं , जिससे मिश्रित खेती करना आसन वा सरल हो जता हैं , साथ ही इस प्रकार की खेती में लागत भी कम आता हैं , और संसाधनों का अच्छा इस्तेमाल होता हैं , जिससे किसानो को अधिक लाभ होता हैं | इस प्रकार की खेती में प्रमुख रूप से फसल उत्पादन के साथ दुग्ध व्यवसाय , मछली पालन ,मुर्गी पालन को किया जाता हैं 

तकनिकी और उन्नत मिश्रित खेती :-

इस प्रकार की खेती में थोडा शुरुवाती लगात अधिक होता हैं किन्तु लाभ भी बहुत होता हैं  जो लबे समय तक बिना को समस्या के मिल सकता हैं , इसमें किसानो की अपने संसाधनों को देखते हुए प्लानिंग करना होता हैं , हम एक अति उन्नत मिश्रित खेती की बात करे तो यदि किसान के पास कम से कम एक एकड़ भी जमीन हैं तो , उसमे किसान 50 डिसमिल में एक तालाब का निर्माण कर सकता हैं और 50 डिसमिल में सब्जियो वाली फसल को उगा सकते हैं जिससे अधिक लाभ होगा | , 50 डिसमिल में तालाब बनाने के बाद तालाब के अन्दर में ही सुविधा के अनुसार  कलाम खड़ा करके या लोहे की खम्भे को गाड़ कर एक मुर्गीपालन के लिए जालीदार सेड का निर्माण करे  मुर्गी के साथ बतख पालन के लिए अलग से सेड बनाये , इसके अलावा तालाब के मेड में मधुमक्खी का मधु शाला लगाये , अब तालाब में रोहू ,कतला मृगल तीनो का बीज एक साथ डाले क्योकि ये तीनो मछली पानी की क्रमंश उपरी, मध्य और निचली सतह में रहते हैं जिसे एक साथ पालने में आसानी होता हैं और भोजन के लिए कोई competition नही होता हैं और आसानी से एक साल के अन्दर 2 से 3 किलो तक बढ़ जाता हैं , जिससे 50 डिसमिल में ही 10-12  कुंटल तक मछली उत्पादन कर सकते हैं , तालाब के अन्दर बनाये सेड में मुर्गी वा बतख का  पालन करे इससे मुर्गी से निकले अपशिस्ट नीचे पानी में गिर जायेगा जिसे बतख अपने पैरो से हल चल करके पुरे तालाब में फैला देगा , साथ में यह मछली के लिए भी बहुत अच्छा होता हैं एक तो मछली को कोई अलग से चारा देना नही पड़ता जबकि बतख के पानी को हल चल करने से पानी में आक्सीजन का बलेंस बना रहता हैं वा मछली में हल चल भी अच्छे से होता हैं जिससे मच्छली का विकास तेजी से  होता हैं , इसके अलावा तालाब के मेड में बने  मधु शाले में मधुमक्खी पालन करे जिससे फसलो में अच्छा परागड़ होगा साथ में शहद भी प्राप्त होगा | इसके अलावा पुरे तालाब के मेड में फूलो की खेती करे जिसे बाजार में बेचकर अच्छा लाभ कामा सकते हैं |  यदि तालाब में हमेसा पानी बनांए रखने के लिए बोर आदि की व्यवस्था हो जाये तो बहुत अच्छा होता हैं .

इस प्रकार के मिश्रित खेती से प्रति वर्ष 10 कुंटल मछली 10 कुंटल मुर्गी , वा  अच्छी नस्ल की 5 बतख से  3000  अंडे सालाना प्राप्त कर सकते हैं तथा 10-15 किलो शाहद सालाना प्राप्त होता हैं , इन सभी से लगभग 1,97000 रूपए की इनकम होता हैं इसके अलावा तालाब की मेड़ो पर लगे फुल से सालाना 15000 तक कमा सकते हैं वही 50 डिसमिल में लगे उन्नत  सब्जियों के खेती से सालाना 100000 तक का इनकम हो सकता हैं इस प्रकार से देखे तो 1 एकड़ में सालाना की इनकम लगभग 3 लाख से ऊपर की कमाई होता हैं जबकि शुद्ध कमाई 2-2.5 लाख से भी अधिक हो सकता हैं क्योकि यह सिर्फ एक अकड़े के अनुसार एक माध्यम  अनुमान ही हैं  |


मिश्रित फसल क्या हैं ?

 दो या दो से अधिक फसलो को एक साथ एक ही खेत में उगाने की प्रक्रिया को मिश्रित फसल कहते हैं , जैसे सरसों के साथ चना, आलू की फसल के साथ टमाटर ,मिर्च , बैगन आदि ,  इस प्रकार की फसल उगाने से कई लाभ होते हैं जैसे की किट बीमारी का नियंत्रण होता हैं वही कई फसल को एक साथ उगाने से सभी फसलो के अलग अलग भाव मिलने या किसी एक दो  फसल के नुकसान होने से दुसरे फसल से अच्छा खासा पैसे बन जाता हैं | इस प्रकार की फसल इंटर क्रोपिंग के रूप में भी लिया जाता हैं |

इंटर क्रोपिंग क्या हैं ?

 लबी उम्र वाली मुख्य फसलो के बीच में कम उम्र के फसलो को लगाना इंटर क्रोपिंग कहलाता हैं जैसे नारियल के मुख्य फसल के साथ अन्नास , या काली मिर्च , या फिर गन्ने की दो लाइन के बीच आलू की एक लाइन लगाना , इंटर क्रोपिंग के अंतर्गत आता हैं ,  इससे खाली पड़े जमीन का इस्तेमाल अच्छे से हो जाता हैं , तथा अच्छा उत्पादन भी प्राप्त होता हैं |

मिश्रित फसल उगाने के तरीके 

आमतौर पर किसान दो या दो से अधिक फसलो के बीज को एक साथ मिलाकर छिड़कर बो  देते हैं , जैसे की गेहू के साथ सरसों , या फिर सरसों के साथ चना आदि | इस प्रकार से बोई गई फसल कटाई के समय दिक्कत होता हैं क्योकि इसमें बीज मिलजाता हैं , जिसका बाजार मूल्य भी कम होता हैं |

उन्नत तरीके से मिश्रित फसल उगाने के लिए अलग-अलग फसलो को अलग-अलग लाइनों में बोना सबसे अच्छा हैं , जैसे की दो लाइन सरसों की उसके बाद एक या दो लाइन चने की और दो लाइन गेहू की , इस तरह से फसल  लगाने से एक ही क्षेत्र में तीन प्रकार की फसल अच्छे से प्राप्त होता हैं ,

इसी प्रकार से सब्जी वाली फसल में आलू ,टमाटर , मिर्च ,बैगन के साथ मुली गोभी वर्गी सभी लगाना चाहिये , मक्का के साथ भेंडी , ग्वार सेमी  उपयुक्त होता हैं , इसे एक -एक लाइन के अंतर में अलग -अलग फसल को लगा सकते हैं या फिर क्यारी बनाकर भी लगा सकते हैं जैसे की एक क्यारी में पूरा आलू उसके दुसरे क्यारी में गोभी , या भाजी वर्गी सब्जी को भी लगा सकते हैं ,

मिश्रित फसल में ध्यान देने वाली बात :-
मिश्रित फसल उगाते समय कुछ बातो को जरुर ध्यान रखना चाहिये जिससे कोई नुकसान ना हो जैसे की :-

अधिक पानी चाहने वाली फसल के साथ कम पानी की मंग वाली फसल को ना लगाये |

बेल वाली फसल जैसे की करेला ,बरबट्टी के साथ अन्य फसल को ना लगाये हा इसे अलग-अलग क्यारी बनाकर जरुर लगा सकते हैं 

अदलहनी फसल के साथ दाल दलहनी फसल को लगाये जैसे पालक , आलू ,टमाटर गोभी आदि के साथ मेथी फसल जरुर ले , इसी प्रकार से गेहू ,सरसों के साथ चना की फसल जरुर ले इससे मिट्टी की पोषक तत्वा अच्छा होता हैं ,

मिश्रित खेती वा मिश्रित फसल से लाभ :-

यदि ठीक तरीके से किया जाये तो मिश्रित खेती और मिश्रित फसल से  सामान्य खेती या फसल से 20-50 % अधिक लाभ मिलता हैं , वही उपलब्ध संसाधनों का बहुत अच्छे से उपयोग होता हैं , बाजार की अधिकतम मांग को पूरा करके अच्छे भाव का लाभ उठा सकते हैं , मिश्रित खेती और मिश्रित फसल से  किसानो को नुकसान होने के बहुत कम खतरा होता हैं , 

                                                     

टमाटर की जैविक उन्नत खेती || तीखुर की खेती से कमाए लाखो रूपए प्रति एकड़ || जीरा की जैविक खेती || मेथी की जैविक खेती || धनिया की जैविक खेती || जैविक खेती कैसे करे || रसायन मुक्त खेती कैसे करे || Bio Nutrient || जैविक कीटनाशक  || किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनाये || किसान सम्मान का लाभ किसान कैसे ले  


Translate

 PM-किसान सम्मान निधि 

के लिए 

ऑनलाइन आवेदन करे 

किसान क्रेडिट कार्ड 

के लिए 

ऑनलाइन आवेदन करे 

 प्रधान मंत्री फसल बीमा 

के लिए 

ऑनलाइन आवेदन करे 

Importance Of Link

https://navjiwankrishi.blogspot.in/p/all-in.html

https://navjiwankrishi.blogspot.com/p/blog-page_16.html



    
==============================
              





Popular Posts