Cultivation Of Tomato

टमाटर की जैविक उन्नत खेती ,टमाटर उष्णकटिबंधीय जलवायु की फसल है, इसके पौधे सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में आसानी से विकास कर लेते हैं. लेकिन सर्दियों में पड़ने वाले पाले से , पौधे शीघ्र नष्ट हो जाते है. टमाटर की खेती में लगातार इस्तेमाल किये जाने वाले रासायनिक कीटनाशक और उर्वरक की वजह से इसके फलों की गुणवत्ता कमी हुई हैं , जिसके कारण टमाटर के अधिक प्रयोग को रोग उत्पन्न करने वाले कारक के रूप में देखा जा रहा हैं , जैसे की पत्थरी ,
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टमाटर
के प्रमुख
उपयोग
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टमाटर
खाने के
फायदे
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टमाटर
के प्रमुख
प्रकार और
किस्मे
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घरेलु
उपयोग के लिए
टमाटर उगाने
के उन्नत तरीके
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वाव्सयिक
खेती करने के
लिए उन्नत
तकनिकी
जानकारी
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टमाटर
की उन्नत
खेती और लाभ
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टमाटर
की खेती से
अधिकतम लाभ
कमाने के लिए
सुझाव
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टमाटर की जैविक खेती आज के समय की आवश्यकता है, क्योंकि टमाटर खपत और उत्पादन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है। जिसका सीधा सम्बन्ध मानव स्वस्था से है, टमाटर की खेती लगभग पुरे देश में की जाती है, जबकि आंध्रप्रदेश सबसे अधिक टमाटर उत्पादन करने वाला राज्य हैं , टमाटर की मांग साल भर रहती है। और खेती भी पुरे साल भर किया जा सकता हैं।
टमाटर के प्रमुख उपयोग :-
टमाटर ही शायद एक ऐसी फल या सब्जी है, जिसे विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त है। लाल-लाल टमाटर देखने में सुंदर और खाने में तो स्वादिष्ट होता हैं, साथ ही इनमें बहुतायत में पौष्टिक गुण भी पाए जाते हैं।टमाटर का प्रयोग सलाद व सब्जी के लिए सबसे ज्यादा होता हैं ,आज लोग घर या रेस्टोरेंट या कंही भी खाने की स्वाद को बढ़ाने के लिए टमाटर का उपयोग करते ही हैं , खाने में टमाटर का उपयोग स्वाद को बढ़ता ही हैं साथ में , टमाटर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन सी व ए पाये जाते हैं जो हड्डी दांत व आँखों के लिये बहुत लाभकारी है। एसिडिटी की शिकायत होने पर टमाटरों की खुराक बढ़ाने से यह शिकायत दूर हो जाती है। हालाँकि टमाटर का स्वाद अम्लीय (खट्टा) होता है, लेकिन यह शरीर में क्षारीय (खारी) प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है। टमाटर की खट्टे स्वाद का कारण साइट्रिक एसिड और मैलिक एसिड है जिसके कारण यह प्रत्यम्ल (एंटासिड) के रूप में काम करता है। टमाटर का उपयोग सब्जी के स्वाद को बेहतर बनाने के अलावा टमाटर की सूप बनाने में , चटनी बनाने में , सलाद बनाने में , सॉस बनाने में , कैचअप बनाने में , अचार बनाने में , तथा जूस के लिए के , इसके अलावा नमकीन बनाने में भी बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है, जिसका उपयोग लम्बे समय तक रखने व पुरे साल भर कई प्रकार की पकवान के साथ किया जा सकता हैं। इसके अलावा सौंदर्य प्रसाधन के सामग्री बनाने में भी टमाटर रस का प्रयोग होता हैं।
टमाटर खाने के फायदे
शरीर के लिए टमाटर बहुत ही लाभकारी होता है। इससे कई प्रकार की रोगों का निदान होता है। टमाटर शरीर से विशेषकर गुर्दे से रोग के जीवाणुओं को निकालता है। यह पेशाब में चीनी के प्रतिशत पर नियन्त्रण पाने के लिए प्रभावशाली होने के कारण यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी उपयोगी होता है। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होने के कारण इसे एक उत्तम भोजन माना जाता है। टमाटर से पाचन शक्ति बढ़ती है। इसके लगातार सेवन से जिगर बेहतर ढँग से काम करता है और गैस की शिकायत भी दूर होती है। जो लोग अपना वजन कम करने के इच्छुक हैं, तो उनके लिए टमाटर बहुत उपयोगी है। एक मध्यम आकार के टमाटर में केवल 12 कैलोरीज होती है, इसलिए इसे पतला होने के भोजन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके साथ साथ यह पूरे शरीर के छोटे-मोटे विकारों को भी दूर करता है। टमाटर के नियमित सेवन से श्वास नली का शोथ कम होता है। प्राकृतिक चिकित्सकों का कहना है कि टमाटर खाने से अतिसंकुचन भी दूर होता है और खाँसी तथा बलगम से भी राहत मिलती है। अधिक पके लाल टमाटर खाने वालों को कैन्सर रोग नहीं होता। खाली पेट प्रतिदिन एक गिलास टमाटर का रस पीने से त्वचा का रंग गोरा होने लगता हैं खासकर चेहरे पर चमक बढ़ जाता हैं। इसके आलावा एक चमच हल्दी दो चमच बेसन, आधा चमच नीबू रस तथा एक से दो टमाटर का रस को पेस्ट बना ले और फिर इसे चेहरे पर लगाए इससे चेहरे की दाग , कील मुँहासे दूर हो जाते हैं , लेकिन ध्यान रहे यदि टमाटर जैविक खाद ,कीटनाशक का उपयोग करके उगाया गया हैं तो यह जूस या रस पीने के लिए अति उत्तम होता है।
टमाटर के प्रमुख प्रकार और किस्मे :-
टमाटर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता हैं पहला चेरी टमाटर और दूसरा सामान्य टमाटर जो आमतौर पर सबसे ज्यादा उपयोग किये जाते हैं।
चेरी टमाटर की उत्पादन सामान्य टमाटर से कई गुना अधिक होता हैं तथा इसका पोषक गुण भी सामान्य टमाटर से अधिक होता हैं ,चेरी टमाटर की मीठास सामान्य टमाटर की तुलना में ज्यादा होती है. इसमें 9.4 टीएसएस है, जबकि सामान्य टमाटर में टीएसएस 3.5 तक होता है. चेरी टमाटर में बीज और रस की मात्रा काफी कम होती है, इसमें विटामिन ए व लाइकोपीन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. यह टमाटर लाल, गुलाबी और पीले रंग में होता है, चेरी टमाटर की खेती इन दिनों किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है चेरी टमाटर का प्रयोग ज्यादातर फाइव स्टार होटलों में सलाद के तौर पर किया जाता है. लेकिन अब इसमें ऐसी किस्मों का विकास हो रहा है जिसको आम लोगों की थाली तक भी पहुंचाया जा सकता है। हांलाकि इसकी खेती के बारे में बात करें तो इसे पॉलीहाउस में उगाया जाता है। जिससे एक बार रोपाई करने के बाद पुरे साल भर फल लिया जा सकता हैं , हलकी चेरी टमाटर को घर की जरुरत को पूरा करने के लिए गमलो में लगया जा सकता हैं , चेरी टमाटर की पौधे की लाबाई बहुत अधिक होता हैं यह 10-15 मीटर तक होता हैं , और फल लम्बे गुच्छो में लगते हैं।
चेरी टमाटर के लिए प्रमुख किस्म हैं :
Red Cherry :- यह किस्म पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई है। इस किस्म को खास सलाद के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका रंग गहरा लाल होता है और भविष्य में यह पीले, संतरी और गुलाबी रंग में भी उपलब्ध होगी। इसकी बिजाई अगस्त या सितंबर में की जाती है और फरवरी में यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है। यह जुलाई तक पैदावार देती है। इसकी अगेती पैदावार 150 क्विंटल प्रति एकड़ और कुल औसतन पैदावार 430-440 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
Sona Cherry:- यह किस्म 2016 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 425 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसके फल पीले रंग के और गुच्छों में निकलते हैं। फल का औसतन भार लगभग 11 ग्राम होता है। इसमें सुक्रॉस की मात्रा 7.5 प्रतिशत होती है।
Kesari Cherry: यह किस्म 2016 में जारी की गई है। इसकी औसतन उपज 405 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इस किस्म के फल का औसतन भार लगभग 11 ग्राम होता है। इसमें सुक्रॉस की मात्रा 7.6 प्रतिशत होती है।





सामान्य टमाटर :-
सामान्य टमाटर की खेती देश भर में बड़ी मात्रा में किया जाता हैं , तथा पुरे दुनिया में टमाटर उत्पादन के लिए चीन के बाद भारत का नंबर आता हैं जिसमे सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाला राज्य आंध्रप्रदेश हैं जबकि मध्यप्रदेश तीसरे सबसे अधिक टमाटर उत्पादन करने वाला राज्य हैं, भारत से विदेशो को भेजे जाने वाला टमाटर में सामान्य टमाटर का बड़ा योगदान हैं जिससे करोडो रूपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त होता हैं। सामान्य टमाटर की दो प्रजाति है पहला देशी और दूसरा हाइब्रिड या संकर इनकी प्रमुख किस्म की बात करे तो
देशी में -
पूसा सदाबहार :- इस किस्म की औसत उपज लगभग 300 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से लेकर 150 -200 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकता हैं | पौधा फुल देने बाद पौधों में बढाव नही होता हैं पौधा-बौना फल-गोल,छोटा चिकना आकर्षण लिये हुये, ठंडा और गर्म, वातावरण के लिये उपयुक्त हैं इस किस्म की रोपाई के 55 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए शुरू हो जाता हैं।
स्वर्ण लालिमा :- फल गहरे लाल, गोल (120-125 ग्राम) एवं कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 4-5% जीवाणु जनित मुरझा रोग के प्रति प्रतिरोधी तथा सिमित बढ़वार वाली किस्म हैं इसकी रोपाई के 55-60 दिन बाद फल प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता हैं। 250-300 कुंटल प्रति एकड़ होता हैं
स्वर्ण नवीन:- फल गहरे लाल रंग के अंडाकार (60-70 ग्राम) एवं कुल घुलनशील पदार्थ 5% जीवाणु झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी तथा असिमित बढ़वार वाली किस्म हैं इस किस्म की रोपाई के 60-65 दिन बाद फल प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता हैं तथा उत्पादन 250-300 कुंटल प्रति एकड़ होता हैं
पूसा रूबी :- यह अगेती किस्म हैं , जिसके फल रोपाई के 60-65 दिनों बाद पक जाते हैं | फल हल्की धरियो वाले चपटे और सामान रूप से लाल होते हैं | इसकी उपज प्रति एकड़ 400-500 कुंटल होता हैं |
इसके अलावा भी अन्य किस्मे है जो अलग -अलग राज्य के लिए उपयुक्त हैं और उसका उत्पादन भी उसी राज्य में ज्यादा होता हैं , उन्नत किस्म में - पूसा-120,पूसा शीतल,पूसा गौरव,अर्का सौरभ, अर्का विकास, सोनाली भी हैं जो पुरे भारत के लिए उपयुक्त हैं और इससे अधिकतम उपज प्राप्त होता हैं ,
संकर या हाइब्रिड :- इस प्रकार की किस्म में देशी किस्म के मुकाबले अधिक उत्पादन होता हैं संकर प्रकार के प्रमुख किस्म हैं।
स्वर्ण वैभव :- फल गहरे लाल रंग के गोल (140-150 ग्राम) ठोस एवं कुल घुलनशील पदार्थ 5% दूरवर्ती बाजार और प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त, एवं सिमित बढ़वार वाली किस्म हैं तथा रोपाई के 55-60 दिन बाद प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता हैं इस किस्म की उपज उपज 360 -400 कुंतल प्रति एकड़ होता हैं।
स्वर्ण समृद्धि:- फल लाल, ठोस (70-80 ग्राम) एवं कुल घुलनशील पदार्थ 5-6% जीवाणु जनित झुलसा रोग और अगेती अंगमारी रोगों के लिए प्रतिरोधी एवं सिमित बढ़वार वाली किस्म हैं रोपाई के 55-60 दिन बाद फल प्रथम तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता हैं उपज 400 -500 प्रति एकड़ तक होता हैं।
इसके अलावा पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड-4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस.440 हैं जो बहुत अच्छी संकर किस्म हैं।
घरेलु उपयोग के लिए घर की बालकनी या छतो में टमाटर उगाने की तकनीक :-
टमाटर का उपयोग हर घर में होता हैं क्योकि टमाटर एक ऐसा फल हैं जो लगभग सभी प्रकार की खाने का स्वाद बढ़ा देता हैं और इसी कारण से लोग टमाटर को पसंद करते हैं। कुछ लोग अपने जरुरत के लिए टमाटर को अपने ही घरो में उगाना चाहते हैं इसके लिए हम उन्नत तरीके से बालकनी या छतो में टमाटर उगाने के बारे में चर्च करेंगे :
बालकनी या छतो पर टमाटर उगाने के लिए सबसे पहले कम से कम एक फिट चौड़ा वा एक फिट गहरा वाला गमला ले यदि गमला ना हो तो घर में पड़ी बेकार की प्लास्टिक डिब्बा , या प्लास्टिक की छोटी-छोटी बाल्टी का भी प्रयोग कर सकते हैं , इन गमलो या डिब्बों में सबसे पहले नीचे 3-4 छेद कर दे जीससे अधिक पानी भर निकल जाये इसके बाद गमलो में अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट की खाद को एक भाग मिटटी और एक भाग खाद के हिसाब से मिलाकर प्रत्येक गमलो में भर दे ध्यान रहे गमलो को अच्छे से दबा दबाकर भरे यदि गोबर या कम्पोस्ट की खाद ना मिले तो केचुए की खाद को एक तिहाई मिटटी में मिलाकर भरे , मन लीजिये एक गमला एक किलो मिटटी लेगा तो उसमे 3 पाव मिटटी और एक पाव केचुए की खाद मिलाये , इसके बाद इस गमलो को एक से दो दिन के लिए खुले धुप में अच्छे से सुखाये फिर , इसके बाद प्रति गमला 2-4 बीज एक से दो सेंटीमीटर की गहराई में डाले और हल्का सिचाई कर दे सिचाई प्रत्येक 4-5 दिन में करते रहे और हल्का करे , इसके अलावा ध्यान रहे पौधे को कम से कम सुबह या शाम में 2-3 घंटा धुप पड़े इससे पौधे का विकास अच्छा होता हैं साथ ही में फूल फल अच्छा आता हैं , ध्यान रहे यदि पौधे का विकास ना हो या फिर पत्तियों में पीला पन आए तो हल्के मात्रा में यूरिया का छिड़काव कर सकते हैं।
टमाटर की उन्नत एवं व्यावसायिक खेती कैसे करे ?:-
टमाटर की उन्नत और व्यावसायिक खेती करने के लिए :- जलवायू , भूमि , उन्नत किस्मे , और बाजार मांग इन चारो बातो को ध्यान में रखना जरुरी हैं , यदि इनमे से किसी भी एक की जानकारी नहीं हैं तो टमाटर की खेती से अच्छी लाभ कामना मुश्किल हो जायेगा , टमाटर उन्नत खेती के लिए सामन्य जानकारी
टमाटर की खेती के लिए जलवायु :-
टमाटर की खेती बरसात , ठण्ड और गर्मी तीनो ही मौसम में किया जाता लेकिन टमाटर की अच्छी उपज के लिए नवम्बर महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक रोपाई करने से उपज में कोई परेशानी नहीं होता हैं , टमाटर की फसल अधिक पानी वा गर्मी से वृद्धि नहीं कर पाता जबकि पाला को बिल्कुल ही सहन नहीं कर सकता हैं। 12-26 से. ग्रे. तापमान के बीच टमाटर की खेती बहुत अच्छे से किया जा सकता हैं।
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त भूमि :-
टमाटर की खेती जैविक पदार्थो से युक्त दोमट मिटटी सबसे अच्छा होता हैं लेकिन अगेती किस्मो के लिए बलुई तथा दोमट बलुई मिटटी बहुत अच्छा होता हैं , इसके अलावा यदि अच्छी खाद जल निकास वा सिचाई की अच्छी व्यवस्था हो तो लगभग सभी प्रकार की मिटटी में टमाटर की खेती आसानी से किया जा सकता हैं।
टमाटर की पौध शाला की तैयारी :-
टमाटर की बीज को सीधे खेत में बोकर भी फसल लिया जा सकता हैं किन्तु यह विधि बहुत छोटे एरिया के लिए लाभकारी हैं , यदि बड़े क्षेत्र में टमाटर उगाना हैं तो सबसे पहले पौधा तैयार करना पड़ता हैं जिससे पुरे खेत में पौधों की संख्या सही हो , टमाटर की पौधे तैयार करने के लिए सबसे पहले चयनित स्थान को अच्छे से जुताई करके या गुड़ाई करके मिटटी को भूभुरा बना ले , और इसमें सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दे और मिटटी को समतल कर ले फिर इसे 15 सेंटीमीटर ऊंचा क्यारी बना ले , इसके बाद 15-15 से. मी. की दुरी पर सीधा लाइन खींचे और इस लाइन में ही बीजो को रेत में मिलाकर बोवाई करे और फिर सूखी तथा बारीक़ किये गए गोबर की खाद से या केचुए की खाद से बीज को ढक दे यदि खाद ना हो तो मिटटी से ही ढक दे और हल्के पानी का छिड़काव कर दे ,और हर 4-5 दिन में छिड़काव करते रहे , यदि हो सके तो पॉलीथिन की शीट से नीचे से 3 फिट ऊपर तक छत जैसे ढक दे इससे पौधे का Groth अच्छा होता हैं। और पौधा 20 -25 दिन में रोपाई के लिए तैयार हो जाता हैं।
टमाटर की फसल के लिए मुख्य खेत की तैयारी और खाद :-
टमाटर एक उथली जड़ वाली फसल हैं , अतः टमाटर की नर्सरी या पौध शाला में बीज बोन के बाद मुख्या खेत की तैयारी शुरू कर देना चाहिए जिससे खेत अच्छे से तैयार हो सके, इसके लिए खेत को एक बार मिटटी पलटने वाले हल से या फिर जो हल किसानो के पास उपलब्ध हो उससे गहरी जुताई करना चाहिए उसके बाद खेत में प्रति एकड़ 3-4 ट्रैक्टर सड़ी हुई गोबर की खाद को पुरे खेत में अच्छे से फैला दे और 10-15 दिन तक ऐसे ही रहने दे इसके बाद दो जुताई करे और समतल कर ले यदि खेत में ढेले हो तो ढेले तोड़ने के लिए रोटावेटर का प्रयोग कर सकते हैं इससे खेत की जुताई ,ढेले की तुड़ाई वा समतल एक साथ हो जाता हैं , इसके बाद खेत में 40 किलो ग्राम यूरिया , 160 किलोग्राम सिंगल सुपरफास्फेट , और 40 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को एक एकड़ खेत के हिसाब से में सभी तरफ अच्छे से फैला दे और एक हल्की जुताई कर दे अब खेत रोपाई के लिए तैयार हैं , ध्यान रहे जब रोपाई के 35-40 निराई गुड़ाई करे उसके बाद 40 किलो ग्राम यूरिया का छिड़काव करे।
टमाटर की ,बीज की मात्रा और रोपाई :-
एक एकड़ के लिए 120-150 ग्राम बीज पर्याप्त होता हैं जबकि एक डिसमिल में 1-1.5 ग्राम बीज पर्याप्त होता हैं बीज को पौध शाला में बोन और वह से निकाल कर मुख्य खेत में लगाने बाविस्टिन या थाइरम दवा की 1 ग्राम मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाये वा उसमे पौधों की जड़ो को एक से दो मिनट के लिए डुबो दे और फिर मुख्य खेत में लगा दे इससे पौधे की गलने समस्या नहीं होता हैं। बरसात फसल के लिए जुलाई से अगस्त के दूसरे सप्ताह तक , ठण्ड की फसल के लिए अक्टूबर से नवम्बर की अंतिम सप्ताह तक जबकि गर्मी की फसल के लिए फरवरी की पहली सप्ताह से मार्च की पहली सप्ताह तक टमाटर की रोपाई करे। तथा पौधों की रोपाई लाइन में करे और पौधों से पौधों की दुरी 20-30 सेंटीमीटर रखे तथा लाइन से लाइन की दूसरी 50-60 सेंटीमीटर रखे। इसके अलावा यदि टमाटर में फूल लगते समय पौधों को सहारा दे दे तो उपज में 20 % तक वृद्धि होता हैं। इसके लिए केन की रस्सी और बस का स्तेमाल कर सकते हैं।
टमाटर में निराई गुड़ाई और सिचाई :-
टमाटर की फसल को खरपतवार से बचाने और पौधों की विकास के लिए दो निराई गुड़ाई की जरुरत होता हैं , पहला निराई गुड़ाई रोपाई के 30-35 दिन के बीच लेना चाहिए इसके ठीक 25-30 दिन में दूसरी निराई गुड़ाई कर लेना चाहिए , इसके आलावा पौधो की कटाई छटाई भी कर सकते हैं इससे पौधों में अच्छी वृद्धि के साथ अच्छी फल देने वाली शाखा भी निकलता हैं , जबकि सिंचाई पौधे की रोपाई के बाद यदि मिटटी में पर्याप्त नमी ना हो तो तुरंत हल्की सिंचाई करना चाहिए इसके बाद बरसात के फसल में यदि वर्षा ना हो तो सिंचाई जरूर करे जबकि अक्टूबर से फरवरी तक की फसल को 7-12 दिन के अंतराल वा गर्मी की फसल को 4-7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए , वैसे मुख्या रूप से सिंचाई का अंतराल भूमि की किस्म पर निर्भर करता हैं ,यदि हल्की मिटटी हुई तो जल्दी -जल्दी सिंचाई की जरुरत होता हैं जबकि भारी मिटटी में कम सिंचाई की जरुरत होता हैं।
टमाटर की फसल सुरक्षा :-
टमाटर की फसल को कई प्रकार की कीट वा बीमारी नुकसान पहुंचाता हैं जिसका रोकथाम समय पर नहीं किया गया तो उपज में 60 प्रतिशत तक कमी देखा गया हैं ,
टमाटर की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख कीट में :- जैसिड , सफ़ेद मक्खी और फल छेदक किट हैं :-
जैसिड :- ये हरे रंग के छोटे -छोटे सफेद कीड़े होते हैं जो पौधे की कोशिका से रस चूस लेते हैं जिसके कारण पौधे की पत्तियाँ सूख जाती हैं , कीड़ो के अधिक संख्या होने से पत्तियाँ मुड़ कर गुछे जैसे हो जाते हैं और अंत में पीला पड़कर गिर जाता हैं ,
सफेद मक्खी :- ये सफेद रंग के छोटे-छोटे मक्खी के तरह दिखने वाले किट होते हैं जो पत्ती वा पौधे का रस चूसते हैं, इसके अलावा ये कीट पत्ती मुड़ने वाले बीमारी भी फैलाती हैं | इस कीट से प्रभावित पत्तियाँ मुरझाकर सुख जाता हैं |
फल छेदक कीट :- यह टमाटर का सबसे प्रमुख शत्रु कीट हैं , टमाटर की फल को खाकर बेकार कर देता हैं , इन कीड़ो का पहचान फलो की मोजूद छेदों से होती हैं इस कीट की इल्लिया हरे फलो में घुस जाता हैं और अन्दर ही अन्दर फलो को खाते हैं जिससे फल सड़ जाता हैं ,
उपरोक्त कीटो की रोकथाम समय पर करना बहुत जरुरी हैं नही तो उपज में भारी कमी होता हैं , फसल की बढ़वार की आरंभिक अवस्था में मक्खी वा जैसिड के रोकथाम के लिए यदि हो सके तो जैविक दवाई जैसे की विजया 666 , या जोस B5 , आदि , या फिर मेटासिटोक्स अथवा या डाईमेथड दावा का 2 ग्राम दावा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें तथा टमाटर के फल छेदक कीट का नियत्रण करने के लिए प्रभावित पौधों और फल को उखाड़ कर जला दे यदि कीड़ो का गंभीर आक्रमण हुवा हैं तो जैविक दवाई विजया 666 या रासायनिक दवाई मेलाथियन अथवा कार्बोरिल का छिडकाव करे और 15 दिन बाद दुबारा छिडकाव करे ,इससे फल छेदक कीट का नियत्रण हो जाता हैं ,
टमाटर की फसल को प्रमुख रूप से विगलन और सुत्रक्रिमी ज्यादा नुकसान पहुचता हैं :-
टमाटर में विगलन रोग सबसे ज्यादा होता हैं तथा टमाटर के पौधों पर बहुत ज्यादा बुरा प्रभाव डालता है इस रोग से फसल को क्यारी या पौध शाला में सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है खासतौर से बरसात के मौसम में इसका आक्रमण बहुत ही गंभीर होता है,यह रोग पौधों में जमीन की सतह से शुरू होकर तने की निचली सतह तक दिखाई देता है जिसमें जड़ वा तना मर जाता है तथा पौधे की ऊपरी सतह हरी अवस्था में होता है लेकिन पौधे गिर जाने के करण नष्ट हो जाते हैं क्या रोग बहुत ही तेजी से फैलने वाला होता हैं, इस बीमारी का लक्षण मुख्य खेतों में भी देखा जाता है कई बार अधिक वर्षा या अधिक सिंचाई के कारण मिट्टी में अधिक नमी हो जाता है जिसके कारण भी यह रोग यह दिखाई देते हैं,
इस रोग की रोकथाम के लिए बीज उपचार करना बहुत जरूरी है क्योकि यह रोग अधिक नमी होने के कारण फफूंद द्वारा फैलता है, जब बीजों का उपचार कर दिया जाता है तो अधिक नमी होने की स्थिति में भी फफूंद जीवाणु का विकास नहीं हो पाता है जिसके कारण पौधे रोग मुक्त हो जाते हैं, बीज उपचार करने के लिए थोड़ी सी दवा कैप्टन या थैरम की थोड़ी सी मात्रा को बीज के साथ मिलाकर अच्छे से मिला ले इससे दवाई का कड़ बीज पर आसानी से चिपक जाएगा और फिर से इसे कम से कम 15 मिनट के लिए छाया में सुखा दें उसके बाद बीजों की बुवाई कर दें, इसी प्रकार से पौधों को क्यारी से निकालने के बाद मुख्य खेतो में लगाने से पहले कैप्टन या बाविस्टिन कि 1 ग्राम दवा को 1 लीटर पानी में घोल बना लें और उसमें पौधों की जड़ों को कम से कम 10 मिनट के लिए डुबो दे उसके बाद पौधों की रोपाई करें इससे जड़ गलन की समस्या लगभग समाप्त हो जाता है, इसके अलावा यदि खेत में इस बीमारी का कोई लक्षण दिखाई दे तो प्रभावित पौधों को उखाड़कर जला दे ,इसके अलावा फसल चक्र ,वा जल निकास की अच्छी व्यवस्था करना चाहिये वा उचित मात्रा में ही सिचाई करे .
इसके अलवा सूत्रकृमि भी टमाटर की पौधों को बहुत हानी पहुचाता हैं , सूत्रकृमि के कारण पौधों की जड़ो में बड़ी बड़ी गठ बन जाता हैं , जिससे पौधों का विकास रुक जाता हैं, प्रभावित पौधों की पत्तिया पीली पड़ जाता हैं , इसकी रोकथाम के लिए बीज उपचार करना चाहिये वा फसल चक्र के साथ खेत को कुछ समय के लिए खाली छोड़ दे इससे सूत्र कृमि की जीवन चक्र प्रभावित होता हैं ,
टमाटर की उपज प्रति एकड़ :
टमाटर की फसल को अच्छी देखभाल करने से वा अच्छी उपयुक्त किस्मो के चुनाव से एक एकड़ से सामन्य टमाटर से 150-200 कुंटल तक उपज आता हैं जबकि चेरी टमाटर से प्रति एकड़ 300-400 कुंटल तक उत्पादन होता हैं ,
टमाटर की उन्नत खेती और लाभ
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अच्छे
क्वालिटी के
बीज 160 ग्राम 1500
रूपए
पौध
शाला
निर्माण और
पौधे तैयार
करना 2000 रूपए
खेत
की जुताई व
समतल करना 4000
रूपए
खाद
सड़ी हुई गोबर
या कम्पोस्ट
की खाद 5500 रूपए
सिंगल सुपर
फास्फेट 2
बोरी 700 रूपए
मियुरेट ऑफ़
पोटाश 30 किलो
ग्राम 600 रूपए
यूरिया 70 किलो
ग्राम 600
रूपए
खाद डालने के
लिए मजदूरी 500
रूपए
पौध
रोपाई और
निराई गुड़ाई
के लिए 10000 रूपए
सिचाई
और कीटनाशक
के लिए 6000
रूपए
पौधों
को सहारा
देने के लिए
10000 रूपए
लकड़ी
वा रस्सी को
लगाने के लिए
मजदूरी 1000
रूपए
अन्य
खर्च 2000
रूपए
एक
एकड़ में कुल
खर्च 44,400
रूपए
शुद्ध
आय:-
एक
एकड़ से अच्छे
से देख भाल
करने से 120
कुंटल टमाटर बड़े
ही
आराम से आ
जाता हैं , यदि
बाजार में एक
एवरेज भाव
8
रूपए प्रति
किलो के
हिसाब से
बेचा जाये तो
120*100
=12000 किलोग्राम,
12000*8 = 96000 का कुल
बिक्री
कुल आय - कुल
खर्च , 96,000-44,400 = 51600
अतः
एक एकड़ से 51600
रूपए शुद्ध
कमा सकते हैं
|
टमाटर की खेती से अधिकतम लाभ कमाने के लिए navjiwankrishi.blogspot.com का सुझाव :-
टमाटर की खेती से लाभ कमाना तभी संभव हैं जब खेती की कुल उत्पादन लगत कम से कम हो और उत्पादन का मूल्य अच्छे से अच्छे मिले , किसान अक्सर एक गलती करता हैं की वह किसी भी फसल को एक सीज़न में बहुत अधिक उगाता हैं वो भी ऐसे समय में जब वह खेती करने वाले कई किसान उसी फसल को लगा रहे हैं , ऐसे में फसल का अधिक उत्पादन होने के बावजूद किसान को कोई फायदा नही होता क्योकि अधिक उत्पदान से उस उत्पाद का मूल्य घट जाता हैं , मैं यह कुछ उद्धरण देना चाहूँगा , यदि खाद ,बीज , सीमेंट, लोहे,आदि की बड़ी बड़ी कम्पनी अपने उन उत्पादों को अधिक से अधिक उत्पादन करने के क्षमता के बावजूद नही बढ़ाते हैं , क्योकि यदि वो ऐसा कर दे तो उनके उत्पादन के लगत तो वही होगा जो कम उत्पादन करने में भी खर्च हो रहा था , लेकिन अधिक उत्पादन के करण उन उत्पादों का मूल्य बहुत कम हो जायेगा जिससे कम्पनी को शायद अपना उत्पादन लागत भी ना वसूल हो पाए ,और इसलिए अपने उत्पाद तो कम रखते हैं जिसके कारण उनका सामान का अच्छा भाव मिलता हैं ,
ठीक ऐसे ही किसान अपने उत्पाद का अच्छा भाव पाने के लिए अपने उत्पाद को स्थिर रखे , और एक ही फसल लगाने के बजाये दो या जितना हो सके अधिक से अधिक मिक्स फसलो को उगाये , जैसे कुछ क्षेत्रा में टमाटर तो कुछ में आलू ,तो कुछ में मिर्च , हरी सब्जी , इससे सभी खेतो का उपयोग अच्छे से होता हैं और उत्पाद का भाव भी अच्छा मिलता हैं , इसके अलावा अपने उत्पाद को अच्छे बाजार भाव मिलने पर बाजार में सीधे बेचे ,यदि बाजार भाव सही नही हैं तो उस उत्पाद को नए उत्पाद में बदलकर बेचना चाहिये जैसे की , यदि टमाटर का बाजार मूल्य गिर गया हैं लेकिन इसे अधिक दिनों तक रख भी नही सकते ऐसे में , टमाटर की सॉस , केचप ,टमाटर की मिक्स आचार , टोमेटो पावडर , बना कर बेचे इससे टमाटर को लबे समय तक खाने योग्य रखा भी जा सकता हैं और लोगो को काम भी मिलेगा साथ में जो चीज कम भाव में बिक रहा था अब उसका प्राइस एक निश्चित हो जायेगा जिससे किसानो को अच्छा मुनाफा होगा .
टमाटर की सॉस बनाने की विधि
टमाटर की सॉस बनाने की विधि बहुत आसन व बहुत कम सामग्री में तैयार होने वाला उत्पाद हैं
1 किलो ग्राम अच्छे पके तजा टमाटर ,एक बड़ा चम्मच सिरका (वेनेगर),200 ग्राम चीनी,आधी छोटी चम्मच सोंठ पाउडर (अदरक को सुखाकर उसका पिसा पाउडर. यह बाजार में भी उपलब्ध है) स्वादानुसार काला नमक
बनाने की विधि
टमाटर को अच्छे से धोकर काट लें. (इस ट्रिक से छीलें टमाटर, आलू और संतरा, काम होगा आसान)- एक बर्तन/भगोने में थोड़ा पानी और टमाटर डालकर मध्यम आंच पर उबलने के लिए रख दें. ढक्कन से भगोने को ढक दें और बीच-बीच में एक बड़ी चम्मच से टमाटर चलाते रहें. जब टमाटर पककर अच्छे से नर्म हो जाएं तो आंच बंद कर दें. फिर बड़ी छलनी को एक बर्तन के ऊपर लगाकर उस छलनी से पके टमाटर को चम्मच से दबाकर अच्छी तरह छान लें और उसका गाढ़ा रस अलग कर लें. अगर टमाटर के पीस बचे रह जाते हैं तो इनको मिक्सर में डालकर पीसने के बाद छलनी से छान लें.- आप चाहें तो टमाटर को निकालकर इनका छिलका उतारने के बाद भी मिक्सर में पीस सकते हैं. इनके बीज निकाल देंगे तो और अच्छा रहेगा. ऐसा करने के लिए आपको टमाटर काटने की जरूरत नहीं होगी, अब टमाटर के गाढ़े रस को एक भरी तले के बर्तन में डालकर मीडियम आंच पर रखें.- इसमें चीनी, सोंठ, और काला नमक डालकर कड़छी या चम्मच से लगातार चलाते हुए पकाएं| जब यह गाढ़ा हो जाए तो आंच बंद कर दें. टोमैटो सॉस ठंडा होने के बाद इसमें सिरका (वेनेगर) डालकर मिक्स करें.- तैयार सॉस को जार में भरे और मोम से शील बंद कर दे , इसप्रकार से इसे 6 महीने तक स्टोर कर सकते हैं |
टमाटर केचप बनाने की विधि
टमाटर की केचप बनाना सास बनाने जैसे ही लेकिन इसमें कुछ मसालों का प्रयोग किया जाता हैं जिससे यह सास के मुकाबले अधिक स्वादिष्ट होता हैं .
सामग्री
1 किलो ग्राम टमाटर , लौंग बिना फुल ,0.5 ग्राम , बड़ी इलाइची 1 ग्राम ,काली मिर्च1 ग्राम ,लाल मिर्च 1 ग्राम ,जीरा 1 ग्राम ,जैवित्री 1 ग्राम , दालचीनी 1.5 ग्राम ,लहसुन 5 ग्राम ,प्याज20 ग्राम , शक्कर 100 ग्राम , नमक 10 ग्राम ,सोडियम बेन्जोइड750 मिलीग्राम , सिरका 4 मिलीग्राम
बनाने की विधि
पके हुए टमाटर को धोकर काट ले , इसके बाद एक बर्तन में टमाटर को इतना पकाए की छिलका, गुदा वा बीज आराम से अलग हो जाये इसके बाद इसे स्टील की छलनी में बीज वा छिलका को छान कर अलग कर दे वा गुदा और रस में शक्कर ,नमक को मिलाकर धीमी आंच में लगभग 10 मिनट पकाए सभी मसालों को एक साथ कूट कर मलमल की कपडे में पोटली बांधे अब इसे पकते हुए टमाटर के रस में डाल दे 5 मिनट तक पकाए और फिर पोटली को बहर निकाले अब इसमें सोडियम बेंजोइड , और सिरका को मिलाये , और फिर 1 मिनट तक पकाए इसके बाद गरमा गरम साफ बोतल या डिब्बे में भरे और मोम से शील बंद कर दे इसे साल भर बाजार में बेचा जा सकता हैं ,
टमाटर की मिक्स आचार
केवल टमाटर का आचार अधिक दिनों तक नही टिक सकता हैं इसलिए लबे समय तक टमाटर का आचार खाने के लिए मिक्स आचार बनाना सबसे आसान और उपयोगी हैं , टमाटर का मिक्स आचार बनाने के लिए -
सामग्री
अच्छे से पके 1 किलो नीबू , 200 ग्राम सब्जी वाली हरी मिर्ची , 100 ग्राम लहसुन , 1 किलो अच्छे पके टमाटर , 200 ml सरसों का तेल , 50 ग्राम नमक या स्वाद के अनुसार भी लिया जा सकता हैं , 50 ग्राम भुजा गया सरसों की दाल , 30 ग्राम लाल मिर्च पाउडर , हल्दी पाउडर 50 ग्राम , 20 ग्राम जीरा , 10 ग्राम मेथी , 10 मिलीग्राम सिरका ,
बनाने की विधि :-
नीबू वा टमाटर को साफ धोकर 4 टुकड़ो में काट ले , और नीबू की दाना को निकाल ले , यदि हरी मिर्ची लबी हो तो 4 टुकडो में काटे नही तो 2 टुकडो में काटे , लहसुन को साफ कर ले अब तेल और सिरका को छोड़कर सभी सामग्री को एक साथ मिला दे और इसे साफ डिब्बो में भर दे इसके बाद सरसों के तेल और सिरका को डाल कर अच्छे से मिक्स करे , और डिब्बे को मोम से शील बंद करके ढक्कन कस दे , और इसे 2-3 दिन हल्के धुप में रखे , अब यह बाजार में बेचने के लिए तैयार हैं ,
टमाटर का पाउडर
अच्छे पके टमाटर को साफ कर ले और इसे छोटे छोटे टुकडो में काटे और तार की जाली ,या फिर बास की टाट में डाल कर कड़े धुप में सुखाये , अच्छे धुप में 5-7 दिन सुखाने के बाद , सूखे टमाटर की पिसाई कर दे और इसमें हल्का नमक या फिर सोडियम बेंजोइड का पावडर मिलाए प्रति एक किलो में 500 मिलीग्राम के हिसाब से और फिर इसे तुरंत डिब्बो में या पोलीथिन में पैक कर दे , अब यह मार्केट में बेचने के लिए तैयार हैं ,
टमाटर पाउडर का इस्तेमाल विभिन्न मसाले दार सब्जियो में , नमकीन बनाने में , चटनी बनाने में , इसके अलावा कई प्रकार की रोटी बनाने वाले आटे में मिलाकर रोटी बनाई जाये तो बहुत ही स्वादिष्ट रोटी बनता हैं |
यदि टमाटर उगाने वाले किसान Organic Tomato की Cultivation करता हैं तो लाखो कमा सकता हैं और किसान अपना उत्पाद को सक्षण करके बेचे तो अधिक लाभ कमा सकता हैं , बाजार इस तरह के उत्पाद की मांग लगातार बढ़ रहा हैं ऐसे में इस प्रकार की खेती से बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं
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